देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में सितंबर के दौरान कपास की आवक में बढ़ोतरी हुई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को देशभर की विभिन्न मंडियों में 45 से 50 हजार गांठों (एक गांठ=170 किलो) की आवक हुई। इसमें से लगभग 50 फीसदी की आवक गुजरात और महाराष्ट्र से हुई।
इस अधिकारी ने बताया कि गुजरात में 15 हजार गांठों की आवक हुई जबकि महाराष्ट्र में 10 हजार गांठों की। उनके मुताबिक आने वाले हफ्तों में इसमें और तेजी आएगी। अनुमान है कि इन दोनों राज्यों में आवक की अवधि में दो हफ्तों से अधिक का विलंब हो सकता है और यह नवंबर की शुरुआती हफ्ते तक जा सकता है।
ऐसा इसलिए कि इन दोनों राज्यों में देर से बारिश होने के चलते बुआई में विलंब हुई थी। जानकारों के मुताबिक, इस साल कपास का कुल रकबा 91 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है जो पिछले साल की तुलना में 4.5 प्रतिशत कम है।
अधिकारी ने बताया कि अच्छे किस्म की बीजों के इस्तेमाल से घाटा सीमित ही रहेगा। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि सितंबर 2008 में समाप्त हुए कपास वर्ष में भारत में कपास का कुल उत्पादन लगभग 315 लाख गांठ रहेगा और मौजूदा सीजन में यह 310 लाख से 325 लाख गांठों के बीच रहेगी।
पंजाब में कपास की कीमतें बढ़ीं
भारतीय कपास निगम (सीसीआई) की ओर से इस खरीफ सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की 5 लाख गांठे खरीदे जाने के बीच शुक्रवार को कपास की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई।
कारोबारियों के मुताबिक, खरीदारी के लिए सीसीआई के बाजार में आते ही कपास की कीमतें 2,900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं जबकि दो दिनों पहले इसकी कीमत 2,700 रुपये से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थी।
मालूम हो कि दस दिन पहले कपास की कीमतों में 100 से 105 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई थी जिसकी वजह फसल की अधिक आवक और स्पिनिंग मिलों द्वारा हुई कम खरीदारी थी। भारतीय कपास निगम के प्रबंधक (पंजाब) वी पी नागपाल ने कहा कि अगर कपास की कीमतें 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम रहा तो मौजूदा सीजन में हम पंजाब से कपास की 5 लाख गांठ खरीद सकते हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कपास की विभिन्न किस्मों जिसमें जे-34 और अन्य हाइब्रिड किस्में शामिल हैं, का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले दो दिन में सीसीआई ने बाजार से 13 लाख गांठों की खरीदारी कर ली है। इससे पहले जब तक सीसीआई बाजार में नहीं आई थी तब तक कपास न्यूनतक समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बेचे जा रहे थे।
किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत मिलने पर निजी कारोबारियों के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था। हालांकि अधिक कीमतों के कारण स्पिनिंग मिल अभी भी बड़े परिमाण में कपास की खरीदारी नहीं कर रहे हैं क्योंकि इससे उनका मुनाफा प्रभावित होगा। एक विश्लेषक ने बताया कि कपास की वर्तमान कीमतें अधिक हैं जिस कारण मिल अभी खरीदारी नहीं कर रहे हैं।
कारोबारियों ने बताया कि पंजाब में अभी तक कुल 1.20 लाख गांठों की आवक हुई है जबकि पिछले साल यह 2.70 लाख गांठ थी। इस साल इसकी दैनिक आवक सात हजार गांठों तक पहुंच गई है। इस साल कुल रकबे के 85 प्रतिशत हिस्से में बीटी कॉटन की खेती की गई इसलिए पंजाब पारंपरिक मध्यम लंबाई की रेशों की जगह लंबे रेशे वाले कपास का उत्पादन करने में सफल रहा।
नागपाल ने कहा कि इस साल किसानों ने हाइब्रिड और असली किस्मों का रकबा बढ़ाया है इसलिए राज्य में पहली बार लंबे रेशे वाली फसल हुई है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में कपास का कुल उत्पादन 21 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 23.55 लाख गांठों का उत्पादन हुआ था। खरीफ सीजन के दौरान रकबे में आई 12 प्रतिशत की कमी के कारण उत्पादन में गिरावट आई है।