सरकार ने मकई वायदा पर पाबंदी लगाने पर विचार करने का आश्वासन दिया है, हालांकि इस बाबत कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
मकई से जुड़ी इंडस्ट्री मसलन पोल्ट्री और स्टार्च इंडस्ट्री ने कहा है कि वे सरकार के इस कदम का स्वागत करेंगे।पिछले हफ्ते नैशनल एग कोऑर्डिनेशन कमिटी (एनईसीसी) की अगुवाई में पोल्ट्री इंडस्ट्री का प्रतिनिधिमंडल कृषि मंत्री शरद पवार से मिला था और मकई वायदा पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। समझा जाता है कि शरद पवार ने इस मुद्दे पर साफ रवैया अपनाने का आश्वासन दिया है।
देश के 38 हजार करोड़ रुपये की पोल्ट्री इंडस्ट्री का मुख्य तत्व मकई और सोयामील है। देश में पैदा होने वाले कुल मकई का 65 फीसदी हिस्से का उपभोग पोल्ट्री इंडस्ट्री में होता है।एनईसीसी की चेयरपर्सन अनुराधा देसाई ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में बताया – शरद पवार ने कहा है कि वह मकई और सोयामील के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाने की संभावना पर विचार करेंगे।
उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब कृषि मंत्री इस मुद्दे पर गंभीर दिखे और मुझे उम्मीद है कि इसके नतीजे सकारात्मक होंगे। यह डिवेलपमेंट ऐसे समय में हो रहा है जब एक पखवाड़े से मकई वायदा पर दबाव दिख रहा है क्योंकि रबी फसल की आवक और पश्चिम बंगाल में दूसरी बार बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है।इस सीजन में खरीफ की बेहतर फसल के बावजूद मक्का वायदा में उफान दिख रहा है और यह 900 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गया है।
यह तेजी मुख्य रूप से निर्यात में अच्छी खासी बढ़ोतरी की वजह से आई है। बाजार के अनुमान के मुताबिक, नवंबर से अब तक भारत ने करीब 9 लाख टन मकई का निर्यात किया है और ऐसे में कुल निर्यात 15 से 20 लाख टन तक पहुंच सकता है। निर्यात पर पाबंदी केमामले में समझा जाता है कि मंत्री ने ऐतराज जताया है।
मकई का बाजार फिलहाल मंदड़िए की गिरफ्त में है। कमोडिटी विशेषज्ञों के मुताबिक, इस फसल में तेजी आने की संभावना है। उन्होंने इसके 950 से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया है। देसाई ने कहा कि तेजी की इस स्थिति में अगर मकई वायदा पर पाबंदी लगाई जाती है तो इससे कीमतों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
हालांकि कमोडिटी विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार ऐसा कदम नहीं उठा सकती है। इनका कहना है कि मकई वायदा पर पाबंदी लगाने की बजाय सरकार ऐसी चीजों पर पाबंदी लगाने पर विचार करे जिसका मुद्रास्फीति पर ज्यादा वजन है। दूसरी ओर स्टार्च उत्पादकों ने कहा है कि अगर सरकार मकई में हस्तक्षेप करती है तो यह हमारे उद्योग के लिए काफी लाभकारी होगा।
ऑल इंडिया स्टार्च मैन्युफैक्चरिंग असोसिएशन के प्रेजिडेंट अमोल एस. सेठ ने कहा – मकई वायदा पर पाबंदी लगाने से बाजार में सटोरिया गतिविधि बंद हो जाएगी और इससे इसकी कीमतें स्थिर हो जाएंगी। एनईसीसी के मुताबिक, लागत में बढ़ोतरी और बर्ड फ्लू फैलने से पिछले एक साल केदौरान पोल्ट्री इंडस्ट्री को करीब 15 हजार करोड़ रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
ऊंची लागत के चलते पिछले कुछ महीनों में पक्षियों का रिप्लेसमेंट भी नहीं पो पाया है। देसाई ने कहा कि हमें छह महीने में आग्रिम रूप से पक्षियों का रिप्लेसमेंट करना पड़ता है, लिहाजा इसका असर अगले पांच महीने में दिखेगा जब अंडे की कीमत 3 रुपये प्रति पर पहुंच जाएगी।
मक्का बाजार
मकई वायदा में हस्तक्षेप कर सकती है सरकार
पिछले हफ्ते कृषि मंत्री से मिला पोल्ट्री उद्योग का प्रतिनिधिमंडल
संभावित कदम का स्टार्च इंडस्ट्री ने किया स्वागत
कमोडिटी विशेषज्ञों को है इस पर ऐतराज
अच्छी पैदावार के बावजूद इसमें तेजी की उम्मीद
बंद नहीं किया जाएगा निर्यात