देश में अब बिजली से खाना बनाना रसोई गैस (एलपीजी) के मुकाबले अधिक सस्ता हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली में 14.2 किलोग्राम रसोई गैस सिलिंडर अब 843.50 रुपये में मिल रहा है। 1 जुलाई को कीमतों में बढ़ोतरी के बाद नई दरें लागू हुई हैं। देश में पाइप्ड नैचुरल गैस (पाइप से गैस की आपूर्ति या पीएनजी) रसोई गैस के मुकाबले पहले ही सस्ती थी। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में वरिष्ठ विश्लेषक भानु पाटनी के अनुसार, ‘रसोई गैस के दाम बढऩे के बाद एलपीजी और पीएनजी के बीच कीमतों का अंतर और बढ़ गया है। किलो कैलरी के स्तर पर तुलना करें तो पीएनजी एलपीजी के मुकाबले अब 60 प्रतिशत तक सस्ती हो गई है। इससे लोग अपने घरों में अब पीएनजी आपूर्ति व्यवस्था लाने के लिए अधिक दिलचस्पी दिखाएंगे।’
1 जुलाई, 2021 को रसोई गैस सिलिंडर की कीमत 140 रुपये बढ़ाकर 834 रुपये कर दी गई थी, जो पहले दिल्ली में 1 जनवरी को 694 रुपये थी। सरकार 2020 से रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी लगातार कम कर रही है और 1 जुलाई को दाम में हुई यह अब तक की सर्वाधिक बढ़ोतरी है। सरकार ने मई 2020 में रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त कर दी थी। सरकार सब्सिडी के नाम पर मामूली रकम का वाहन कर रही है और उपभोक्ताओं को लगभग पूरी कीमत चुकानी पड़ रही है।
पाटनी ने कहा, ‘देश में इस समय प्राकृतिक गैस की आपूर्ति 1.79 डॉलर प्रति मिलियन थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) की दर पर हो रही है जिससे पीएनजी अधिक सस्ती पड़ती है। अगर पीएनजी का दाम बढ़ता है तब भी यह रसोई गैस या एलपीजी के मुकाबले सस्ती ही रहेगी।’ समझा जा रहा है कि घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत अक्टूबर 2021 से 60 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है। इस वृद्धि के बाद इसकी कीमत 2.86 डॉलर प्रति एमबीटीयू हो जाएगी। इससे पीएनजी थोड़ी महंगी जरूर हो जाएगी लेकिन रसोई गैस के मुकाबले तब भी सस्ती ही रहेगी। इसकी सीधी वजह यह है कि सरकार ने रसोई गैस सिलिंडर पर सब्सिडी समाप्त कर दी है। पाटनी ने कहा, ‘रसोई गैस पर सब्सिडी अब लगभग खत्म की जा चुकी है और यह तेल विपणन कंपनियों के लिए एक अच्छी खबर है। मार्च 21 में तेल विपणन कंपनियों ने सब्सिडी के मद में कोई रकम नहीं दिखाई थी।’
रसोई गैस महंगी होने का सीधा लाभ पीएनजी को मिल सकता है और उपभोक्ता इसे अपनाने की तरफ आगे आने लगेंगे। हालांकि बुनियादी सुविधाएं तैयार नहीं होने की वजह से पीएनजी गैस अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना फिलहाल मुमकिन नहीं लग रहा है।
तेल मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार दिल्ली के 40 लाख परिवारों में केवल 15 लाख ही पीएनजी सुविधा लेने के लिए पात्र हैं। पीएनजी पाइपलाइनों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं और खुली जगह की कमी इसकी प्रमुख वजह है। दिलचस्प बात है कि दिल्ली देश का पहला ऐसा शहर है जहां सबसे पहली पीएनजी सुविधा शुरू की गई थी।