गैर-बासमती चावल के निर्यात मूल्यों में संशोधन पर विचार
बीएस संवाददाता
नई दिल्ली, 27 फरवरी
कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार ने संकेत दिया है कि सरकार गैर-बासमती चावलों के न्यूनतम निर्यात मूल्यों (एमईपी) में संशोधन कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस बारे में वाणिज्य मंत्री से विचार-विमर्श जारी है और एक-दो दिनों के अंदर इस मसले पर फैसला लिए जाने की उम्मीद है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोशिएसन ने घरेलू बाजार में खाद्यान्नों की उपलब्धता के मद्देनजर एमईपी में 2400 रुपये प्रति टन बढ़ोतरी करने की मांग कर चुकी है। अब खाद्यान्न एवं वाणिज्य, दोनों मंत्रालयों को यह फैसला करना है कि मौजूदा एमईपी 2000 रुपये प्रति टन पर्याप्त है या नहीं। पवार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें उफान पर हैं और सबसे खास बात यह कि प्रमुख चावल निर्यातक देशों, जैसे-वियतनाम और थाईलैंड में इस बार चावल का उत्पादन भी कम हुआ है। आलम यह है कि बाजारों से घटिये किस्म के भी चावल नदारद हैं। गौरतलब है कि वाणिज्य राज्यमंत्री जयराम रमेश ने संसद को लिखित जवाब में बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित एमईपी का उद्देश्य है कि चावल के बफर स्टॉक को पर्याप्त बनाए रखना। साथ ही इसके पीछे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों को नियंत्रित करने का मकसद भी होता है। चालू वित्तीय वर्ष में भारत ने कुल 31.87 लाख टन के गैर-बासमती चावल का निर्यात किया है, जबकि पिछले साल 37.02 लाख टन के चावल का निर्यात किया गया था। इस तरह, इस साल 3,759.84 करोड़ रुपये के, जबकि पिछले साल 4,243.08 करोड़ रुपये के चावल निर्यात किए गए थे।चालू वित्तीय वर्ष के अक्तूबर महीने में 5.67 लाख टन चावल निर्यात किए जाने की उम्मीद है। मालूम हो कि 2006-07 में देश से 10.45 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था।