चार बड़ी घरेलू खाद्य तेल निर्माता कंपनियां मलेशिया में निवेश करने के लिए वहां की सरकार से बातचीत कर रही है।
ये कंपनियां वहां की अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों तरह की परियोजनाओं में निवेश करने की योजना रखती हैं। मुंबई में आयोजित मलेशिया-भारत पाम तेल व्यापार मेला और संगोष्ठी-2008 में भाग लेने भारत आए मलेशिया के बागान उद्योग और जिंस उत्पादों के मंत्री पीटर चिन फा कूई ने ये बातें कार्यक्रम से इतर कही।
मलेशियाई मंत्री के मुताबिक, इस बारे में बगैर किसी अंतिम निर्णय के उनके लिए कुछ भी कह पाना अनुचित होगा। उन्होंने कहा कि हमारे पास तकनीक, कच्चा माल और प्रशिक्षित श्रम है जबकि आपके पास पैसा है। दोनों के फायदे के लिए ये जरूरी है कि इन चीजों को एक साथ लाया जाए।
मलेशिया से भारतीय कंपनी आदित्य बिरला समूह के बाहर निकलने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कूई ने कहा कि यह उसके प्रबंधन का फैसला हो सकता है। पर मलेशिया से कोई भी कंपनी वहां की सरकार की खराब नीतियों की वजह से बाहर नहीं गयी है।
गौर करने की चीज है कि मलेशिया भारत के साथ कारोबारी रिश्ते बेहतर बनाने के लिए संयुक्त उपक्रम लगाने की सभी संभावनाओं को तलाश रहा है। पाम तेल के निर्यात की इजाजत मलेशिया ने नहीं दी तो भारत ने इसका आयात इंडोनेशिया से करना शुरू कर दिया। भारत भी अपने रिफाइनर समेत डाउनस्ट्रीम कारोबारियों के हितों की सुरक्षा के लिए काफी सजग है। इसलिए, पिछले कुछ सालों में मलेशिया से भारत को पाम तेल के होने वाले निर्यात में बढ़ोतरी के बजाय गिरावट ही देखी गई है।
आज से 10 साल पहले जहां मलेशिया से भारत को होने वाला पाम तेल का निर्यात 23 लाख टन था वहीं 2007 में यह घटकर महज 5 लाख टन रह गया है। फिलहाल मलेशिया चावल की जबरदस्त कमी का सामना कर रहा है। इसके कारण वह खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए बफर स्टॉक बनाने के जतन कर रहा है। कूई चावल के बदले पाम तेल के एक प्रस्ताव के साथ शुक्रवार को कृषि मंत्री शरद पवार के साथ निश्चित एक बैठक में मिलने वाले हैं।
कूई ने बताया कि यदि भारत मलेशिया को गेहूं और चावल के निर्यात के लिए सहमत हो जाता है तो उनके देश को भी पाम तेल का निर्यात भारत को करने पर कोई आपत्ति नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि बढ़ती महंगाई से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जबकि बासमती चावल पर 200 डॉलर प्रति टन का निर्यात शुल्क थोप दिया था। पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल विशेषकर बासमती किस्म की कमी होने से चावल की कीमतें काफी चढ़ीं हैं।
परिणाम यह हुआ कि बासमती चावल के निर्यात में भारत का करीबी और एकमात्र प्रतिद्वंद्वी रहा पाकिस्तान भी इसकी मांग को पूरा करने में नाकाम रहा है। इस साल देश का पाम तेल आयात 53 लाख टन का रहा, जबकि 2008 के बारे में अनुमान है कि इस साल 58 लाख टन तेल का आयात होगा। वहीं 2009 में पाम तेल का आयात बढ़कर 65 लाख टन तक चले जाने का अनुमान है।