कर्नाटक के कॉफी उत्पादक इलाकों में मौसम फसल के अनुकूल न रहने के कारण अक्टूबर-08 से मार्च-09 के दौरान उत्पादन में गिरावट आई है।
फसल 5 प्रतिशत कम होने का अनुमान है। हाल ही में अनुमान लगाया गया था कि कुल उत्पादन 276,000 टन रहेगा, जिसे अब कम करके 262,000 टन कर दिया गया है।
उत्पादन में कमी के साथ वैश्विक मांग में आई कमी की वजह से कॉफी के निर्यात में जनवरी-अप्रैल 2009 के दौरान 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। कॉफी बोर्ड द्वारा जारी आरंभिक आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान कुल निर्यात 73,288 टन रहा, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में निर्यात 89,651 टन रहा था।
कॉफी बोर्ड के चेयरमैन जीवी कृष्ण राव ने कहा, ‘हमने पहले के सर्वे में अनुमान लगाया था कि अक्टूबर 2008 से मार्च 2009 के बीच कॉफी का कुल उत्पादन 2,93,000 टन रहेगा। लेकिन हमने इसमें संशोधन कर इसमें 5.6 प्रतिशत की कमी कर दी है और अब कुल उत्पादन 276,000 टन उत्पादन का अनुमान रखा गया है।
यह संशोधन नवंबर 2008 के मानसून के बाद हुए सर्वे में किया गया है। इसके बाद जब इसकी फसल तैयार हो गई तो हमें खबर मिली कि कर्नाटक के कुछ हिस्सों, खासकर चिकमंगलूर में अनुमानों से कहीं कम उत्पादन होगा, क्योंकि बारिश की अनियममितता के साथ उर्वरक की कमी के संकट का भी सामना करना पड़ा। इसकी वजह से हमें उत्पादन के अनुमानों में कमी करनी पड़ी।’
कर्नाटक के अनुमान को अब कम करके 1,83,860 टन किया गया है जबकि पिछला अनुमान 1,97,975 टन का था। अधिकारी ने बताया कि दूसरे विशालतम उत्पादक राज्य केरल में यही अनुमान पहले के 57,200 टन के अनुमान के अनुरूप ही है। तमिलनाडु में पहले के 16,440 टन के अनुमान की तुलना में उत्पादन मामूली कमी के साथ 16,255 टन रहने की संभावना है।
काफी के रोबस्टा किस्म का उत्पादन कुल 1,82,800 टन रहने की उम्मीद है। एक अधिकारी ने बताया कि एशिया के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत में उत्पादन अनुमान में कटौती के कारण काफी की शिपमेंट प्रभावित होने की उम्मीद है जहां यह देश अपने काफी उत्पादन के 80 फीसदी हिस्से का निर्यात कर देता है।
