कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने शुक्रवार को विदेश से 60 लाख टन कोयला मंगाने के लिए मध्य अवधि की दो निविदाएं जारी की। आगामी माॅनसून सत्र के दौरान कोयले की कमी की आशंका के बीच पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह कोयला मंगाया जा रहा है।
इन दोनों निविदाओं में यह विकल्प भी है कि जरूरत पड़ने पर बोली की मात्रा को 60 लाख टन से बढ़ाकर 120 लाख टन किया जा सकता है। इससे पहले, सीआईएल ने बिजली संयंत्रों को ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 24.16 लाख टन कोयले का आयात करने को लेकर पहली निविदा जारी की थी। अप्रैल में जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण हुई बिजली कटौती की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सरकार कोयले का भंडार बनाने को लेकर कंपनी से कदम उठाने को कहा है। उसके बाद कंपनी ने निविदाएं जारी की है।
कोल इंडिया ने एक बयान में कहा कि सरकार के निर्देशानुसार स्वदेशी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार को बढ़ाने के लिए कंपनी ने शुक्रवार को विदेशों से कोयले मंगाने के लिए 30-30 लाख टन की दो अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली वाली ई-निविदाएं जारी कीं।
कंपनी ने कहा कि हालांकि सीआईएल देश की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन भविष्य में कोयले की आपूर्ति की कमी से निपटने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। यह निविदा अगले महीने से लेकर अगले साल जून तक के लिए है। न्यूनतम मांग मात्रा 50,000 टन होगी। प्रतिस्पर्धी बोलियों के जरिए मांगे गए 60 लाख टन कोयले के लिए, देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर नौ बंदरगाहों की पहचान की गई है। इससे पहले सीआईएल ने बुधवार को एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली ई-निविदा जारी की, जिसमें 24.16 लाख टन कोयले के आयात के लिए बोलियां मांगी गईं थीं। बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) और स्वतंत्र बिजली संयंत्रों (आईपीपी) की ओर से कोयला मंगाया जा रहा है, जो उनसे प्राप्त मांग पर आधारित है।
इससे पहले गुरुवार को जारी बयान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान ईंधन के आयात के लिए वर्तमान अल्पकालिक निविदा के तहत कोयला किसी भी देश से प्राप्त किया जा सकता है।
