चने के वायदा बाजार पर रोक लगने से चने के साथ-साथ बेसन व दाल की कीमत में कमी दर्ज की गयी है।
वायदा के कारण कीमतों में रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव से भी दाल व बेसन उत्पादकों को राहत मिल गयी है। हालांकि आने वाले समय में चने की कीमत में बढ़ोतरी की संभावना से दाल व बेसन के भाव भी बढ़ सकते हैं। पिछले एक सप्ताह के दौरान चने की कीमत में प्रति क्विंटल 100-150 रुपये की गिरावट दर्ज की गयी है। बेसन की कीमत में प्रति किलोग्राम 1 रुपये की कमी आयी है।
दाल व बेसन मिलर्स एसोसिएशन के महासचिव महाबीर मित्तल के मुताबिक गत बुधवार की रात चने के वायदा बाजार पर रोक लगायी गयी। तब चने की कीमत 2450 रुपये प्रति क्विंटल थी। उसके बाद से चने की कीमत में गिरावट होने लगी। सोमवार को इसकी कीमत 2300 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गयी।
एसोसिएशन के प्रधान अशोक गुप्ता कहते हैं, ‘सटोरियों ने जो निवेश कर रखा था वायदा पर रोक के बाद वे उसकी प्राप्ति के लिए बिकवाली कर रहे हैं। बाजार में कोई कृत्रिम तेजी नहीं है।’ मित्तल कहते हैं, ‘वायदा बाजार में गत बुधवार से पहले मई महीने के लिए चने की कीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर थी।
गत साल भी इस महीने के दौरान चने की कीमत 2425 रुपये प्रति क्विंटल थी। उससे पहले साल यानी कि 2006 की समान अवधि के दौरान चने की कीमत 3500 रुपये प्रति क्विंटल थी। वायदा निश्चित रूप से बाजार को प्रभावित कर रहा था।’ वे कहते हैं कि चने का बाजार अब स्थिर तरीके से मांग व पूर्ति के हिसाब से चलेगा।
अनुमान के मुताबिक दिल्ली में रोजाना 10,000 क्विंटल चने की आवक होती है। जबकि दाल का उत्पादन रोजाना 15,000 क्विंटल का है। गुप्ता कहते हैं कि जब उड़द की दाल पर वर्ष 2007 के आरंभ में प्रतिबंध लगा था तब उसकी कीमत 4000 रुपये प्रति क्विंटल थी। फिलहाल उसकी कीमत 2300 रुपये प्रति क्विंटल है।
राजधानी फ्लोर मिल्स लिमिटेड के अध्यक्ष सतेंद्र कुमार जैन कहते हैं, ‘चने के वायदा पर रोक के बाद कीमत में गिरावट से बेसन की कीमत में भी कमी आयी है। बेसन की कीमत गत बुधवार तक 1180 रुपये प्रति बोरी थी जो घटकर 1120-1140 रुपये प्रति बोरी के स्तर पर आ गयी है। एक बोरी में 35 किलोग्राम बेसन होता है।
दाल व बेसन मिल मालिकों का कहना है कि वायदा कारोबार के दौरान जिन उत्पादकों ने चने की खरीदारी की थी, उन्हें फिलहाल घाटे का भी सामना करना पड़ रहा है। मित्तल के मुताबिक वायदा के कारण गत महीने कई दाल उत्पादकों ने 2750 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चने की खरीदारी की। अब उन उत्पादकों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में चने की आवक मुख्य रूप से राजस्थान से होती है।
लेकिन इस साल वहां बारिश होने के कारण महाराष्ट्र, गुजरात व मध्य प्रदेश से चने की आवक हो रही है। दिल्ली के दाल उत्पादक ऑस्ट्रेलिया, तंजानिया, नाईजीरिया व वर्मा से चने का आयात भी करते है। वर्तमान में इन देशों से आयातित चने की कीमत 2700 रुपये प्रति क्विंटल है। इसलिए कोई भी व्यापारी चने का आयात नहीं कर रहा है। आने वाले समय में चने की कीमत में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। उत्पादकों का कहना है कि नवंबर महीने से चने का आयात शुरू हो सकता है।