आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए वित्त वर्ष 2022 के केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे, सस्ते आवास और सड़क क्षेत्र पर जोर दिए जाने से घरेलू सीमेंट उद्योग की मजबूती बरकरार रहने की उम्मीद है। जानकारों का कहना है कि कीमत में वृद्धि के बावजूद सीमेंट की मात्रात्मक बिक्री दमदार रहने के आसार दिख रहे हैं।
भारती सीमेंट के निदेशक रवींद्र रेड्डी ने कहा, ‘बजट घोषणाओं से सीमेंट उद्योग को रफ्तार मिलेगी लेकिन जमीनी स्तर पर रकम को अवशोषित करने में समय लगेगा। इसलिए मांग (सीमेंट की) में तेजी काफी हद तक वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही से दिखेगी।’ हालांकि भूमि अधिग्रहण किसी भी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है लेकिन सीमेंट की क्षमता उपयोगिता में उल्लेखनीय तेजी धीरे-धीरे ही दिखेगी।
रेड्डी ने कहा, ‘हो सकता है कि सस्ते आवास श्रेणी की मांग में तत्काल कुछ सुधार दिखे क्योंकि वित्त वर्ष 2022 में इसके लिए कर में छूट का विस्तार किया गया है। लेकिन अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए इसमें थोड़ा समय लगेगा। इसके कारण देश के दक्षिणी हिस्से में उपयोगिता में मौजूदा 50 फीसदी के स्तर से महज 10 फीसदी की वृद्धि दिख सकती है।’ उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू सीमेंट उद्योग में पिछले पांच वर्षों के दौरान उपयोगिता का स्तर औसतन करीब 65 फीसदी रहा है।
क्रिसिल रिसर्च की निदेशक ईशा चौधरी ने कहा, ‘बुनियादी ढांचे पर सरकार द्वारा लगातार जोर दिए जाने के अलावा कमजोर आधार पर मांग में उल्लेखनीय सुधार होने से उपयोगिता के स्तर में धीरे-धीरे सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि अगले पांच वर्षों के दौरान औसत उपयोगिता स्तर 66 से 68 फीसदी के दायरे में सीमित रहेगा क्योंकि विशेष तौर पर पूर्वी क्षेत्र में लगातार क्षमता बढ़ाई जा रही है।’ चुनाव पूर्व खर्च के कारण वित्त वर्ष 2019 में उपयोगिता स्तर शीर्ष पर पहुंच गया था लेकिन वैश्विक महामारी के कारण मांग प्रभावित होने से वित्त वर्ष 2021 में वह घटकर 62 से 63 फीसदी के स्तर तक घट गया।
श्री सीमेंट्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरि मोहन बांगुर ने कहा, ‘उपयोगिता स्तर में तत्काल उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होगी क्योंकि कोविड के कारण पूरा एक साल खोने के बाद हम कमजोर आधार पर शुरुआत कर रहे हैं। हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर सीमेंट उद्योग अच्छी स्थिति में है।’ वित्त वर्ष 2020 में भारत की सीमेंट उत्पादन क्षमता 54.5 करोड़ टन थी। कुल 210 बड़े सीमेंट संयंत्रों की एकीकृत स्थापित क्षमता 41 करोड़ टन है जबकि शेष योगदान 350 छोटे सीमेंट संयंत्रों का है। हालांकि सीमेंट की मांग में तेजी के आसार दिख रहे हैं लेकिन कीमत के मोर्चे पर उद्योग के अधिकारी सतर्क दिख रहे हैं।
मोतीलाल ओसवाल के प्रमुख इक्विटी रणनीतिकार हेमंग जानी ने कहा, ‘उद्योग मूल्य वृद्धि पर नजर रखेगा विशेष तौर पर सरकार की निगरानी के मद्देनजर क्योंकि हाल में सांठगांठ के जरिये कीमत बढ़ाने का मामला उठा था।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन पेट-कोक अथवा ईंधन कीमतों में तेजी आदि इनपुट लागत में किसी भी तरह की वृद्धि को ग्राहकों के कंधों पर सरका दिया जाएगा।’
वित्त वर्ष 2021 की दिसंबर तिमाही के दौरान देश भर में सीमेंट की कीमतों में औसतन 7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि दक्षिण में 17 फीसदी और उत्तर, मध्य एवं पश्चिम में 6 से 7 फीसदी की वृद्धि हुई। देश के पूर्वी क्षेत्र में सीमेंट की कीमतें लगभग स्थिर रहीं।
इस बीच, पूर्वी क्षेत्र में सीमेंट की कीमतों में तिमाही आधार पर भारी गिरावट दर्ज की गई है। नई क्षमताओं और दक्षिण से सामग्री के उच्च अंतर प्रवाह के कारण गिरावट आई है।
