करीब 18.9 करोड़ टन सीमेंट का सालाना उत्पादन करने वाला घरेलू सीमेंट उद्योग अपने कर्मचारियों के नौकरी बदलने से परेशान है।
सीमेंट कंपनियां इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की कोशिशें कर रही हैं, पर मौजूदा पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान देश भर में कई नई सीमेंट इकाइयां खोले जाने के प्रस्ताव से उनके माथे पर बल पड़ रहे हैं कि किस तरह अपने कर्मचारियों को अपने पास टिकाए रखा जाए।
सीमेंट उद्योग में तरक्की की संभावनाएं न केवल देश के अंदर बल्कि देश के बाहर भी खूब हैं। पश्चिम एशिया में भी तेजी से सीमेंट इकाइयां लग रही हैं और उम्मीद है कि इन विस्तार योजनाओं से 2010 तक 10 करोड़ टन तक सीमेंट का उत्पादन बढ़ जाएगा।
जाहिर है, ऐसे हालात में सीमेंट उद्योग में काम कर रहे लोग तेजी से नौकरियां बदल रहे हैं। अब अंबुजा सीमेंट का की उदाहरण लिया जाए जहां कर्मचारियों की पलायन दर 15 फीसदी है, जबकि आदित्य बिरला समूह की सहायक इकाई अल्ट्राटेक सीमेंट में कर्मचारी पलायन दर भी काफी ऊंची है।
अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक ए.एल.कपूर ने कहा कि पलायन हमारे लिए एक बड़ी समस्या है। हमारी कंपनी अपनी क्षमता के अनुरूप मुआवजा पैकेज तैयार कर रही है। यही नहीं, हम अपने प्लांट में नए ग्रैजुएट और डिप्लोमाधारी इंजीनियरों को प्रशिक्षु के तौर पर भर्ती कर रहे हैं।
सीमेंट उद्योग से जुड़े जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई खिलाड़ियों के होने और कई के उतरने से पलायन एक गंभीर समस्या बन गई है। इसके कारण कर्मचारियों की दक्षता में बगैर सुधार हुए पलायन की प्रवृत्ति जारी रहती है। पिछले दो सालों में अंबुजा सीमेंट ने देश भर के विभिन्न क्षेत्रीय कॉलेजों से 300 इंजीनियरों को लिया है। इस पलायन के चलते जरूरी हुआ तो कंपनी को 200 इंजीनियरों की अगले साल जरूरत होगी और कंपनी इसकी तैयारी भी कर रहा है।
उधर अल्ट्राटेक सीमेंट के मुख्य वित्तीय अधिकारी के.सी. बिरला ने कहा कि पलायन की दर 15 से 18 फीसदी तक ऊंची है। शुरुआत में तो यह समस्या कुछ ज्यादा ही गंभीर होती है। हमने इसे रोकने के लिए ईएसओपी की शुरुआत, क्षति पूर्ति की योजनाएं और बेहतर वेतन सुविधाएं जैसे कई उपाय भी किए हैं। उनके अनुसार, पश्चिम एशिया में सीमेंट उद्योग में विस्तार होने से भी कर्मचारियों का पलायन बढ़ेगा।
उत्तर भारत की प्रमुख सीमेंट कंपनी जे.के.सीमेंट्स में कर्मचारियों का पलायन दूसरी बड़ी सीमेंट कंपनियों की तुलना में हालांकि कम है पर पिछले दो सालों में यह नगण्य से बढ़कर 5 फीसदी हो चुकी है। कंपनी कर्नाटक में 40 लाख टन की एक नई इकाई लगा रही है और इसके लिए वह नए ग्रैजुएट इंजीनियरों को ले रही है। पर आशंका है कि इनमें से अधिकांश वहां नहीं टिकेंगे।
जे.के.सीमेंटस के मुख्य वित्तीय अधिकारी ए.के. सरोगी ने बताया कि वरिष्ठ कर्मचारियों के मामले में हम ज्यादा निश्चिंत हैं पर कनिष्ठों के मामले में पलायन एक प्रमुख समस्या बनकर उभरती है। फिर भी सीमेंट उद्योग आशान्वित है कि यह समस्या जल्द ही सुलझ जाएगी। के.सी.बिरला कहते हैं कि वे महसूस कर रहे हैं कि पलायन की समस्या पहले की तुलना में अब कम हुई है।
चूंकि देश और उद्योग दोनों ही तेजी से विकास कर रहे हैं लिहाजा ऊंचे पैकेज वाले नौकरियों के प्रस्तावों में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। हमें लगता है कि हमारी कंपनी में पलायन की अनुमानित दर घटकर 6 से 8 फीसदी तक चली आएगी। वैसे अभी अंबुजा सीमेंट में पलायन की दर 9 से 10 फीसदी है।