देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में बारिश थमने के साथ ही घरेलू सीमेंट कंपनियों को अटकी हुई मांग के कारण आगामी महीनों में सीमेंट की खपत बढऩे की उम्मीद है। त्योहारी सीजन के बावजूद तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के कारण सीमेंट की बिक्री प्रभावित हुई है। सीमेंट उद्योग के लिए अक्टूबर से लेकर मई तक की अवधि को इसे सबसे अधिक मांग वाला सीजन माना जाता है।
भारती सीमेंट के निदेशक एम रविंदर रेड्डी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सभी क्षेत्रों में मांग धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। करीब एक सप्ताह में हमें अटकी हुई मांग की वापसी दिख सकती है।’ उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि मांग में गिरावट के मद्देनजर इस कमोडिटी की कीमतों में भी गिरावट आई है क्योंकि कंपनियां छूट के साथ बिक्री को मजबूती देना चाहती हैं।
एमके रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कमजोर मांग के कारण नवंबर के दौरान देश भर में मासिक स्तर पर करीब 3 फीसदी की गिरावट आई है। पूर्वी भारत में सीमेंट की कीमतों में मासिक स्तर पर 4 से 5 फीसदी की गिरावट आई है जबकि अन्य क्षेत्रों में कीमतों में मासिक स्तर पर 2 से 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।’ हालांकि सीमेंट की मांग में आने की उम्मीद है लेकिन इनपुट लागत पर दबाव बरकरार रहने की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसे में उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि कीमत बढ़ाने की मजबूरी भी हो सकती है। रेड्डी ने कहा, ‘आयातित कोयले की कीमतों में सालाना आधार पर 200 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है जबकि ईंधन की कीमतों में नरमी नहीं दिख रही है। इसलिए इस कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी करने का दबाव निश्चित तौर पर होगा भले ही मांग में सुधार क्यों न हो।’ हालांकि क्रमिक आधार पर कोयला कीमतों में मामूली नरमी दर्ज की गई है।
श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एचएम बांगुर ने कहा, ‘कीमत वृद्धि के दौरान मांग और इनपुट लागत दोनों को ध्यान में रखा जाएगा। हमें लगता है कि कीमतों में वृद्धि के बजाय उसी हद तक बरकरार रखने की कोशिश की जाएगी भले ही उसमें पिछले महीने गिरावट क्यों न दिखी हो।’
सीमेंट उद्योग की अन्य प्रमुख कंपनियों में अल्ट्राटेक, अंबुजा, डालमिया, एसीसी और जेके सीमेंट शामिल हैं। डालमिया सीमेंट के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी महेंद्र सिंघी ने कहा, ‘मांग में अभी भी तेजी शुरू हुई है लेकिन दिसंबर के अंत तक वह रफ्तार पकड़ेगी।’
एमके की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इनपुट कीमतों में हाल में कुछ नरमी दिखी है लेकिन आगे चलकर उद्योग की लाभप्रदता के लिए मांग/कीमत में सतत वृद्धि काफी महत्त्वपूर्ण होगी।
