चाहे प्यार का इजहार करना हो या फिर शादी। हर खुशी के मौके पर फूलों की जरूरत महसूस होती है।
लेकिन दूसरों के चमन में खुशियों का अहसास लाने वाले फूल कारोबारियों के खुद का चमन सरकारी उपेक्षा के कारण मुरझाने के कगार पर है। फूल के उत्पादक हो या फिर विक्रेता, दोनों ही एक संगठित बाजार के अभाव में अपने कारोबार में गिरावट देख रहे हैं।
हालत ऐसी है कि फूल उत्पादक व विक्रेताओं ने सुविधाओं के अभाव में निर्यात बिल्कुल बंद कर दिया है। और अब वे फूल की जगह सब्जी बेचने की सोच रहे हैं। दिल्ली शहर में फूलों का सालाना 100 करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
फूल उत्पादक व विक्रेता डीके जैन कहते हैं, ‘अगर आपको कागज खरीदना होता है तो आप चावड़ी बाजार जाते हैं, अनाज खरीदना होता है तो खारी-बावली जाते हैं लेकिन फूलों की थोक खरीदारी के लिए न तो कोई मंडी है और न ही कोई विशेष स्थान। फूलों का कारोबार तभी फलेगा-फूलेगा जब एक निर्धारित जगह पर इसकी मंडी हो।’
दिल्ली में फूलों की थोक बिक्री मुख्य रूप से कनॉट प्लेस व पुरानी दिल्ली के कुछ इलाकों में की जाती है। लेकिन यह कारोबार सुबह 5 बजे से 9 बजे तक सिर्फ चार घंटे के लिए होता है। अगर इस समय के बाद फूलों की थोक खरीदारी करनी हो तो भटकने के अलावा कोई चारा नहीं है। दिल्ली में फूलों के थोक कारोबारियों की संख्या 50-60 के बीच है।
एक अनुमान के मुताबिक रोजाना वे 5-7 हजार फूलों की बिक्री करते हैं। फूलों के साथ वे हरी पत्तियों का भी कारोबार करते हैं। लेकिन उनके कारोबार में पिछले दो-चार सालों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। फूलों के थोक विक्रेता केसी जोशी कहते हैं, ‘फूलों को रखने के लिए गर्मी में एसी तो जाड़े में हीटर की जरूरत होती है।
इन दिनों बिजली का खर्चा काफी बढ़ गया है। बिजली नहीं रहने पर जेनरेटर का इस्तेमाल करना पड़ता है। लागत बढ़ती जा रही है। उत्पादक जैन कहते हैं, ‘इन्हीं असुविधाओं के कारण फूलों का निर्यात उन्होंने बंद कर दिया। वे पहले सालाना 20-30 लाख रुपये का निर्यात करते थे।’ उनके मुताबिक कमोबेश सभी फूल उत्पादकों का यही हाल है। पहले यहां से ब्रिटेन व सोवियत रूस से जुड़े देशों में फूल भेजे जाते थे।
फिलहाल दिल्ली की थोक मंडी में फूलों के एक बंच की कीमत 3-6 रुपये होती है। एक बंच में 20 फूल होते हैं। दिल्ली में बंगलुरु से भी फूलों की आवक होती है। इन दिनों चीन व थाईलैंड से भी फूल भेजे जा रहे हैं। इन कारणों से यहां के उत्पादकों को बहुत की कम लाभ पर फूलों का कारोबार करना पड़ता है। जैन गुड़गांव में फूलों की खेती करते हैं और दिल्ली में उसकी आपूर्ति करते हैं।
खाद व फूलों के रखने में होने वाले खर्च में बढ़ोतरी के कारण लागत अधिक होती जा रही है। कारोबारियों के मुताबिक सबसे अधिक गुलाब के फूल की मांग होती है। इसके अलावा लिलियम, गरबेरा, कार्निशन जैसे फूलों की भी खासा मांग है। शादी-ब्याह के दौरान फूलों की अच्छी मांग होती है। आम दिनों में इन कारोबारियों का बाजार नरम ही होता है। कारोबारियों के मुताबिक गर्मी के मौसम में उन्हें नुकसान होने की पूरी आशंका होती है।