भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने आज कहा कि कंपनी का विनिवेश मार्च, 2022 तक पूरा किया जाना है।
कंपनी की सालाना आम बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिंह ने कहा, ‘सरकार ने कई मंचों और मौकों पर कहा है कि वह इस वित्त वर्ष में सौदा पूरा करने को इच्छुक है, जिसका मतलब मार्च, 2022 से है। इस तरह से अब तक इस मामले में कही गई स्थिति मार्च तक विनिवेश करने की है।’ वह बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया पूरी किए जाने संबंधी सवाल का जवाब दे रहे थे।
अगस्त, 2021 में निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा था कि सरकार ने एयर इंडिया और बीपीसीएल का निजीकरण इस साल पूरा करने की योजना बनाई है।
लेकिन सितंबर, 2021 के पहले सप्ताह में फिच रेटिंग ने कहा कि बीपीसीएल के निजीकरण में देरी हो सकती है। एजेंसी ने कहा, ‘बोलीकर्ता इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन बोलीकर्ता के कंसोर्टियम और मूल्यांकन सहित प्रक्रिया की जटिलता की वजह से इस काम में देरी हो सकती है।’
बीपीसीएल की हिस्सेदारी खरीदने के लिए केंद्र सरकार की पेशकश पर वेदांत, अपोलो ग्लोबल और स्क्वार्ड कैपिटल ने दिलचस्पी दिखाई है। केंद्र सरकार की इस सार्वजनिक क्षेत्र की तेल शोधन इकाई में 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है। मौजूदा मूल्यांकन के हिसाब से संभावित खरीदार को सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए 50,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ सकता है।
बीपीसीएल का डेटा रूम अप्रैल, 2021 में खोला गया था, जिससे बोलीकर्ता रिफाइनर के फाइनैंशियल डेटा पा सकें और इसका मूल्यांकन हो सके।
बीपीसीएल की हिस्सेदारी की बिक्री में इंद्रप्रस्थ गैल (आईजीएल) और पेट्रोनेट एलएनजी को लेकर भी स्पष्टता की जरूरत है।
इसके बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, ‘हमने खुली पेशकश के लिए सेबी से छूट की मांग को लेकर लिखा है और अभी उनकी ओर से जवाब का इंतजार है। सेबी की प्रतिक्रिया के आधार पर दीपम, पेट्रोलियम मंत्रालय और सभी सरकारी निकाय यह फैसला करेंगे कि क्या किया जाना है। पीएलएल और आईजीएल के मसले पर अभी कुछ कहना जल्दबादी है। यह सभी सवाल खुली पेशकश के मसले से शुरू होंगे।’
बीपीसीएल अगस्त, 2021 से इस रुख पर कायम है। दीपम द्वारा कानूनी स्थिति के मूल्यांकन से पता चलता है कि बीपीसीएल का अधिग्रहण करने वाले को पेट्रोनेट एलएनजी और आईजीएल में 26 प्रतिशत शेयरों के अधिग्रहण के लिए अल्पांश हिस्सेदारों को खुली पेशकश करनी होगी। बीपीसीएल के नए मालिक पर इसका 19,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। इस अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए सेबी से छूट की मांग की गई है।
भारत गैस के रसोई गैस उपभोक्ताओं पर नजर
लागत को लेकर कुछ अधिकारों और हानि के बावजूद तेल क्षेत्र के सार्वजनिक उद्यम रसोई गैस के दाम को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करते हैं। बीपीसीएल का निजीकरण होने वाला है। ऐसे में संभावना है कि कंपनी का नया मालिक संभवत: केंद्र के दिशानिर्देशों को नहीं सुनेगा।
इसकी वजह से बीपीसीएल के रसोई गैस अनुभाग भारत गैस के उपभोक्ताओं के लिए चिंता की बात है। इनमें से तमाम ग्राहक ऐसे हैं जो पीएमयूवाई के तहत आते हैं, जो कीमतों को लेकर और ज्यादा संवेदनशील हैं।
इस सिलसिले में बीपीसीएल के चेयरमैन अरुण कुमार सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘बीपीसीएल के करीब 8.5 करोड़ उपभोक्ता हैं। इनमें से 2.1 करोड़ पीएमयूवाई के लाभार्थी हैं। हर किसी के दिमाग में है कि बीपीसीएल में क्या होने वाला है। एलपीजी ग्राहकों का आधार बहुत बड़ा है, जिसकी रक्षा करनी होगी। इसके मुताबिक व्यवस्था की जाएगी।’
इस मामले से जुड़े तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘जो भी बीपीसीएल को खरीदेगा, उसे केंद्र सरकार द्वारा तय रसोई गैस की कीमतों का पालन करना होगा। घरेलू बाजार में भारत गैस का बड़ा हिस्सा है और ग्राहक कीमतों को लेकर संवेदनशील हैं।’