जूट उद्योग में इस साल बहुत तेज बढ़ोतरी हुई है। इस साल जूट उत्पादों का उत्पादन 30 फीसदी बढ़कर 17.75 लाख टन हो गया है। इसकी वजह इस साल जूट की बढ़िया फसल और बाजार से बेहतर मांग होना बताया जा रहा है।
ए और बी टि्वल दोनों वर्गों में इस साल 11.43 लाख जूट का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल यह उत्पादन 8.47 लाख टन ही था। इस साल हेसियान का पिछले साल के 2.5 लाख टन के मुकाबले 3.5 लाख टन उत्पादन हुआ है, पिछले साल 2.8 लाख टन सीबीसी का उत्पादन हुआ था जबकि इस साल 6 लाख टन सीबीसी का उत्पादन हुआ है। इस साल 1.88 लाख टन यार्न का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल 1.66 लाख टन यार्न का उत्पादन हुआ है।
इस साल जूट की खपत में भी 28 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल 2006-07 में जूट की खपत जहां 12.16 लाख टन थी वहीं 2007-08 में यह 28 फीसदी बढ़कर 15.43 लाख टन तक पहुंच गई। पिछले सालस के 8.54 लाख टन डिस्पैच के मुकाबले इस साल 11.02 लाख टन का डिस्पैच भी हुआ है। इस साल जूट उत्पादों के निर्यात के भी बढ़िया ऑर्डर मिले हैं।
अमेरिका और यूरोप ने इस साल सीबीसी, यार्न और टि्वन्स का काफी आयात किया है। इस साल निर्यात भी 25 फीसदी बढ़कर पिछले साल के 1.65 लाख टन से बढ़कर 2.07 लाख टन हो गया है। दूसरी ओर कपड़ा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक दूसरा ही रुझान दिखाई देता है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से अगस्त 2006 के बीच जूट उत्पादों के वास्तविक निर्यात में कमी आई है।
जूट उत्पादों के वास्तविक निर्यात में 26 फीसदी की कमी आई है। अप्रैल से अगस्त 2006 के 1.31 लाख टन के मुकाबले अप्रैल से अगस्त 2007 के बीच 1.04 लाख टन रह गया। अगर हाले के वर्षों में कच्चे जूट के ओपनिंग स्टॉक की बात करे तो कपड़ा मंत्रालय द्वारा जारी किये आंकड़ों के अनुसार 2006-07 में 112 लाख बेल्स, 2005-06 में 106 लाख बेल्स था।
पिछले तीन साल में जूट के उत्पादन के आंकड़े इस प्रकार रहे। वर्ष 2005-06 में 85 लाख बेल्स, 2006-07 में 100 लाख बेल्स और वित्त वर्ष 2007-08 में 97 लाख बेल्स जूट का उत्पादन हुआ था। जूट का बचा हुआ स्टॉक लगातार दो साल तक तो 8 लाख बेल्स और 23 लाख बेल्स था।
इन सालों में बांग्लादेश से लगभग 9 लाख बेल्स का आयात किया गया था। जबकि साल 2005-06 में यह आंकड़ा 7 लाख बेल्स और साल 2006-07 में 4 लाख बेल्स था। मिल गोदाम में खुला स्टॉक लगभग 9 लाख बेल्स का है जबकि सरकारी एजेंसी भारतीय जूट निगम (जेसीआई) का स्टॉक पिछले साल के 1 लाख बेल्स के मुकाबले 3 लाख बेल्स हो गया। जबकि इससे पिछले साल यानी 2005-06 में जेसीआई के पास स्टॉक के रूप में कुछ भी नहीं था।