मक्के के बाजार के लिए संकट से बाहर निकलना अब और मुश्किल होता जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में बर्ड फ्लू के मामले फिर आने के बाद से बिहार और आंध्र प्रदेश में रबी फसल की आवक में मंदी का रुख होने से मक्का बाजार का संकट और बढ़ सकता है।
देश भर में करीब 38 हजार करोड़ रुपये का पोल्ट्री उद्योग है। उल्लेखनीय है कि मक्के की कुल पैदावार का 65 फीसदी से भी ज्यादा पोलट्री उद्योग में खपता है।बर्ड फ्लू के चलते मक्के की मांग घट गई है। नतीजतन इसकी कीमतें लगातार गिर रही है। मार्च के पहले सप्ताह में अप्रैल माह के लिए मक्के का वायदा मूल्य 12 फीसदी घट कर 795 रुपये प्रति क्विंटल रही थी। कमोडिटी विशेषज्ञों के मुताबिक मक्के की कीमतों में इस माह के शुरु से ही सुस्ती का रुख रहा ।
देश में खरीफ मौसम में होने वाले मक्के की कुल पैदावार 135 लाख टन रही जबकि पिछले साल यह आंकडा 112 लाख टन था। शुरुआती दौर में ज्यादा पैदावार के बावजूद अधिक निर्यात के चलते कीमतों में बढ़ोत्तरी का रुख रहा। लेकिन बर्ड फ्लू के लक्षण मिलने से कीमतें अचानक गिरने लगी।इस साल कुल निर्यात बढ़ कर 9 लाख टन के करीब रहा । बाजार सूत्रों के मुताबिक इसके 15 से 20 लाख टन पहुचनें की संभावना हैं।
मक्के के लिए रवी फसल की पैदावार का कुल योगदान 20 फीसदी से भी कम रहता है। नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में अप्रैल महीनें के लिए मक्के का कारोबार बुधवार को 795 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।