यूरोपीय आयोग (ईसी) के एक निर्देश से भारतीय जूट उद्योग को करारा झटका लग सकता है। निर्देश का पालन नहीं करने वाले भारतीय जूट उत्पादकों को काली सूची में डालने की तैयारी कर ली गई है।
निर्देश के मुताबिक भारत से भेजे जाने वाले उन जूट बैग की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है जो पर्यावरण के अनुकूल नहीं है और जो यूरोपीय संघ के देशों द्वारा तैयार सप्लाई डिस्पोजनिंग नियमों पर खड़े नहीं उतरते। यह निर्देश पैकेजिंग व पैकेजिंग वेस्ट के सिलसिले में जारी किया गया है।
इस निर्देश से भारतीय जूट उद्योग की परेशानी बढ़ सकती है क्योंकि यहां के जूट उत्पादों की गुणवत्ता ईसी के उत्पादकों द्वारा तैयार ऑबलिगेशन (पैकेजिंग वेस्ट) व रेगुलेशन (संशोधन), 2008 से मेल नहीं खाती।
ईसी द्वारा जारी निर्देश में भारतीय जूट उत्पादकों को अपनी उस योजना व क्रियान्वयन की पूरी जानकारी देने के लिए कहा गया है जिसके तहत वे भविष्य में यूरोपीय देशों में जूट उत्पाद से निर्मित वस्तुओं का निर्यात करेंगे।
इन उत्पादकों के जरिए 500 टन जूट उत्पाद की आपूर्ति की जानी है। भारतीय जूट उत्पादकों की यह योजना ईसी द्वारा तय किए गए नियमों के मुताबिक होनी चाहिए।
अगर ये उत्पादक अपने क्रियान्वयन की योजना की जानकारी देने में असफल होते हैं तो उन्हें तुरंत काली सूची में डाल दिया जाएगा और उन्हें यूरोपीय संघ से जुड़े देशों में जूट उत्पाद भेजने की इजाजत भी नहीं दी जाएगी।
ये जूट उत्पादक हर 31 जनवरी तक अपनी योजना व स्कीम की पूरी जानकारी ईसी को भेज सकते हैं। हालांकि छोटे उत्पादकों के लिए ऑपरेशनल योजना की जानकारी मुहैया कराना अनिवार्य नहीं होगा।
इस मामले में इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के चेयरमैन संजय कजारिया कहते हैं, ‘हम जूट उत्पादकों को लेकर पर्यावरण के अनुकूल ईसी के नए निर्देशों को मानने के लिए मजबूर है और हमें उन शर्तों को भी मानना होगा जो आपूर्ति से जुड़ी हैं।
हम देश की सरकार से जूट उत्पादों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे है। ताकि यूरोपीय संघ के देशों में हमारा प्रवेश आसानी से हो जाए।’
इधर, जूट उत्पादों को लेने वाली ब्रिटेन की कंपनियों ने इस मामले में उत्पाद भेजने वाले खासकर भारतीय उत्पादकों को आगाह करना भी शुरू कर दिया है।
उन कंपनियों ने भेजे गए सामान के मामले में इस्तेमाल तत्वों की पूरी जानकारी तुरंत भेजने को कहा है। ब्रिटेन की कंपनियों की स्वास्थ्य व सुरक्षा सलाहकार डिवीजन द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक दोबारा इस्तेमाल होने वाले या रिसाइकिल्ड किए जाने वाले सभी पैकेजिंग तत्वों की मात्रा व उसके प्रतिशत की जानकारी देनी पड़ेगी।
इस बारे में मार्च 2008 तक पूरी जानकारी भेजी जा सकती है। यूके सरकार की खाद्य व ग्रामीण मामलों (डेफ्रा) से जुड़े विभाग ने इस बारे में जारी अधिसूचना को अपनी वेबसाइट पर भी डाल दिया है।
इस मामले में पर्यावरण के अनुकूल जूट उत्पाद के क्रियान्वयन की जानकारी ईसी के समक्ष देनी होगी। डेफ्रा ने इस मामले में एक इलेक्ट्रॉनिक स्प्रेडशीट का भी निर्माण किया है ताकि अपना पंजीयन कराने वाले पैकेजिंग निर्माता उनकी स्कीम का पालन कर सके।
डेफ्रा की वेबसाइट से जुटायी गई जानकारी पर सामूहिक रूप से विचार किया जाएगा।