केंद्र सरकार को नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) के निजीकरण के लिए वित्तीय बोली मिली है। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी (पीएसयू) के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया निर्णायक स्तर पर पहुंच गई है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति विभाग के सचिव तुहिन कांत
पांडेय ने एक ट्वीट में लिखा, ‘प्रक्रिया अब अंतिम चरण की ओर बढ़ रही है।’
केंद्र सरकार एनआईएनएल में 4 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के इंटरप्राइजेज (सीपीएसई) और दो ओडिशा सरकार की मालिकाना वाली कंपनियों की 93.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश पर काम कर रही है।
एनआईएनएल में एमएमटीसी और एनएमडीसी की क्रमश: 49.78 प्रतिशत और 10.10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं एमईसीओएन और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स प्रत्येक की 0.68 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ओडिशा सरकार की मालिकाना वाली इंडस्ट्रियल प्रमोशन ऐंड इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन आफ ओडिशा (आईपीआईसीओएल) और ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन (ओएमसी) की एनआईएनएल में क्रमश: 12 प्रतिशत और 20.47 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
दबाव में चल रहे खनन के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम की सफल बिक्री सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने संभावित खरीदार कंपनी के करीब सभी मांगें मान ली थी। यह केंद्र व ओडिशा सरकार का संयुक्त उद्यम है। इन मांगों में संपत्तियोंं की बिक्री के लिए लॉक इन अवधि घटाकर 1 साल किया जाना और नए खरीदार को एनआईएनएल का विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) में विलय करने का अधिकार शामिल है। पिछले महीने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में विनिवेश पर बने सचिवों के प्रमुख समूह (सीजीडी) ने फैसला किया था कि खरीदार के लिए लॉक इन अवधि घटाकर बिक्री पूरी होने की अवधि से एक साल किया जा सकता है, जो पहले दीपम ने 3 साल प्रस्ताव किया था। इनमें जमीन व खनन पट्टे शामिल नहीं होंगे। जमीन और खनन पट्टे की बिक्री पर लॉक इन प्रतिबंध 3 साल ही रहेगा।
केंद्र सरकार बोलीकर्ताओं के उस मांग पर भी सहमति जताई है कि खरीदारों के कंसोर्टियम के सदस्य वित्तीय निवेशक हो सकते हैं और बकाये को लेकर संयुक्त जिम्मेदारी नहीं होगी।
वित्तीय बोली की प्राप्ति से चालू वित्त वर्ष में लेन-देन पूरा करने में मदद मिल सकती है, जिसका लक्ष्य सरकार ने रखा है। एयर इंडिया के अलावा सरकार ने इस साल बीईएमएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया (एससीआई), पवन हंस, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स और एनआईएनएल के भी विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
