विश्व के पांचवें बड़े बॉक्साइट भंडार वाले देश भारत की बॉक्साइट आयात पर निर्भरता बनी हुई है, जिससे बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है।
इंडियन इंडस्ट्रियल वेल्यू चेन कलेक्टिव (आईआईवीसीसी) ने बताया कि वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही में 10 जून तक देश में कुल 5.197 करोड़ डॉलर (390 करोड़ रुपये) के बॉक्साइट का आयात हुआ है, जिसमें ज्यादा हिस्सा निष्कर्षण, परिवहन, प्रसंस्करण और आपूर्ति पर खर्च होता है। आईआईवीसीसी उन संगठनों का समूह है, जो बॉक्साइट के औद्योगिक उत्पादन और खपत की आपूर्ति शृंखला में लगे हुए हैं।
पब्लिक रिस्पांस अगेंस्ट हेल्पलेसनेस ऐंड ऐक्शन फार रिड्रेसल (पीआरएचएआर) के अध्यक्ष और आईआईवीसीसी के सदस्य अभय राज मिश्र ने कहा, ‘भारत में विश्व का पांचवा सबसे बड़ा बॉक्साइट भंडार है। इसमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा सिर्फ ओडिशा में है। इसके बावजूद एल्युमीनियम उद्योग बॉक्साइट के आयात पर निर्भर है। इसकी वजह से पिछले 6 साल के दौरान 57.1 करोड़ डॉलर (4,400 करोड़ रुपये) विदेशी मुद्रा का नुकसान हुआ है।’
बॉक्साइट का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि एल्युमीनियम उत्पादन में एकमात्र इसी अयस्क का इस्तेमाल होता है। इसकी वजह से बॉक्साइट की उपलब्धता अहम है, जिससे घरेलू एल्युमीनियम उद्योग की वृद्धि और उसका विकास हो सके।
अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड, हिंडालको इंडस्ट्रीज और सरकारी कंपनी नैशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड देश की 3 बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनियां हैं।
मिश्र ने कहा, ‘भारत में 3.8 करोड़ टन बॉक्साइट का भंडार है, इसके बावजूद भारत अपनी बाक्साइट की जरूरतें आयात से पूरी करता है। हर खदान की नीलामी से खजाने में 5,000 करोड़ रुपये आने की क्षमता है और 10,000 लोगों को आजीविका मिल सकती है। इससे इस इलाके की सामाजिक आर्थिक स्थिति में खासा बदलाव आएगा।’
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 साल में भारत का बॉक्साइट आयात 300 प्रतिशत बढ़ा है।
