उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने जा रहे अहम विधानसभा चुनावों के महज एक महीने पहले आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने को मंजूरी दे दी, जिसके खिलाफ किसान पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं।
मंत्रिमंडल ने कृषि कानून वापसी विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी है, जिससे उन 3 कानूनों को वापस लिया जा सके, जिन्हें संसद ने पिछले साल सितंबर में मंजूरी दी थी। इस कानून का मकसद कृषि क्षेत्र खासकर कृषि उत्पादों के विपणन में सुधार करना था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को टेलीविजन पर अपने संबोधन में कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी, उसके बाद कैबिनेट का यह फैसला आया है।
जिन तीन कानूनों को वापस लिया जाना है, उनमें कृषक उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अधिनियम और आवश्यक जिंस (संशोधन) अधिनियम शामिल हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि 2 कृषि कानूनों को वापस लेने की औपचारिकताओं को मंत्रिमंडल ने पूरा कर दिया है।
संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू होगा और 23 दिसंबर को समाप्त होगा। मंत्रिमंडल के फैसले को महज औपचारिकता बताते हुए किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार अब अन्य लंबित मांगों का समाधान करे, जिसमें सबसे अहम न्यूनतम समर्थम मूल्य (एमएसपी) को कानूनी तौर पर गारंटी दिया जाना शामिल है।
बहरहाल किसानों ने इस कदम का स्वागत किया है और कहा कि यह शुरुआती जीत है और वे अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।
राष्ट्रीय किसान महासंघ (आरकेएम) के शिव कुमार कक्का ने पीटीआई से कहा, ‘कृषि कानून वापस लेने की आज की मंत्रिमंडल की मंजूरी महज औपचारिकता है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कर चुके थे। यह सिर्फ प्रक्रिया है। हम अब सरकार से चाहते हैं कि वह अन्य मांगें पूरी करे।’
किसानों के संगठन के संयुक्त निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि किसानों से 6 अन्य मांगों को लेकर बातचीत फिर से बहाल की जाए। इन मांगों में लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री को हटाए जाने और गिरफ्तार किए जाने, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाने और विरोध प्रदर्शन में मृत किसानों का स्मारक बनाए जाने की मांग भी शामिल है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को एक ट्वीट में साफ किया कि किसानों का आंदोलन अभी खत्म नहीं होगा।
