भारत व थाईलैंड के झींगा निर्यातकों के समर्थन में दक्षिणी झींगा गठबंधन (एसएसए)विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नए नियमों को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है।
एसएसए ने अमेरिका के वाणिज्य विभाग से डब्ल्यूटीओ के नए नियम के खिलाफ तुरंत अपील करने की गुजारिश की है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) को भेजे गए पत्र में एसएसए ने कड़े शब्दों में विश्व व्यापार संगठन के नए नियम के खिलाफ जल्द से जल्द चुनौती देने की मांग की है। एसएसए के कार्यकारी निदेशक जॉन विलियम के मुताबिक विश्व व्यापार संगठन के फैसले से अमेरिकी व्यापार के नियमों को लागू करना मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे में या यूएसटीआर को इस अव्यावहारिक नियम के खिलाफ अपील करना होगा या फिर इसे चुपचाप स्वीकार लेना पड़ेगा।बताया गया है कि 2001 से अमेरिकी कस्टमस एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) गलत तरीके से कई चीजों के व्यापार करने वालों से कर के रूप से में 1 बिलियन डॉलर की वसूली करने में नाकाम रहा है। आयातकों द्वारा कर नहीं चुकता करने के जवाब में सीबीपी ने उस कर की उगाही के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।
इस कार्रवाई के तहत सीबीपी ने झींगा आयात पर शुल्क लगाना शुरू कर दिया। और इसके लिए झींगा आयातकों से गैर मुनासिब रूप से होने वाले व्यापार के टैक्स की पूर्ति के लिए कुछ राशि बतौर सिक्युरिटी के रूप में लिया जाने लगा।
सीबीपी ने वर्ष 2004 में इस प्रकार से टैक्स की वसूली की शुरुआत की। इसके बाद से जो निर्यातक एंटी डंपिंग डयूटी से जुड़े थे उन्हें उस सिक्युरिटी को लेना जरूरी हो गया जिसके बदले उन्हें उतनी राशि देनी पड़ती थी जितनी राशि की उम्मीद सीबीपी गैर मुनासिब तरीके से होने वाले वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स के लिए करती थी। लेकिन विश्व व्यापार संगठन के पैनल ने अमेरिकी वाणिज्य विबाग के इस फैसले को गलत करार देते हुए इसमें बदलाव की मांग की।
पैनल ने कहा कि एंटी डंपिंग डयूटी का पहले से मूल्यांकन करना और उसके बदले में सिक्युरिटी लेना कही से वाजिब नहीं है और इसे खत्म कर देना चाहिए। एसएसए का मानना है कि इस प्रकार के बांड को जारी करके गलत तरीके से होने वाले व्यापार पर रोक में कामयाबी मिल रही थी। और यह चलन काफी सफल नजर आ रहा था। इधर एसएसए ने एंटी डंपिंग डयूटी के मामले में होने वाले प्रशासनिक पुनर्विचार से जुड़ी बैठक के लिए 313 भारतीय निर्यातकों की सूची सौंपी है।
इस विचार के लिए लुसियाना झींगा एसोसिएशन ने भारत की दो कंपनियां देवी सी फूड व फेलकॉन मेरायन के नाम को तीसरी बार होने वाले पुनर्विचार के लिए प्रस्तावित किया है। दूसरी प्रशासनिक बैठक में अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भारत के लिए लगने वाले टैक्स में 1.09 फीसदी कमी का फैसला किया था।