भारतीय रेलवे के 25,000 करोड़ रुपये के कैश सरप्लस के बल पर रेल मंत्री लालू प्रसाद ने 2008-09 के दौरान रोलिंग स्टॉक के विस्तार के लिए 11,545 करोड़ रुपये का आबंटन किया है। यह राशि वर्ष 2007-08 के दौरान 8,698.02 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमानों के मुकाबले करीब 32 प्रतिशत अधिक है।
वैगन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए रेल मंत्री ने 20,000 वैगन का विनिर्माण करने की योजना बनाई है। यह बीते वर्ष के 15,000 वैगन के मुकाबले काफी अधिक है। उन्होंने 2008-09 के दौरान 250 डीजल और 220 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के विनिर्माण का लक्ष्य भी तय किया है। यदि इस लक्ष्य को हासिल किया जा सका तो यह भारतीय रेलवे के लिए एक रिकार्ड होगा।
डीजल लोको, इलेक्ट्रिक लोको और रेल कोच फैक्टरी की स्थापना के लिए खुली प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए पीपीपी साझेदारों का चयन किया जाएगा। इसकी अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपये होगी। यह भी उम्मीद है कि कंटेनर ट्रेन, कंटेनर डिपो और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क के जरिए 2,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया जा सकेगा। पुराने वैगन की मरम्मत के लिए छपरा जिले में 40 करोड़ रुपये की लागत से एक वैगन पुनर्निर्माण इकाई की स्थापना करने का प्रस्ताव भी है। केरल में रेल कोच फैक्टरी की स्थापना की जाएगी।
वित्त वर्ष 2008-09 से 20.3 टन एक्सल लोड वाले वैगन का विनिर्माण बंद कर दिया जाएगा और 22.9 टन वाले एक्सल लोड स्टेनलेस स्टील वैगन का विनिर्माण शुरू किया जाएगा। रेलवे 22.9 टन एक्सल लोड वाले बीटीपीएन वैगन को डिजाइन करने के लिए कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहा है। इस बारे में 2009 के अंत तक फैसला होने का अनुमान है। वैगन विनिर्माण के वास्ते विदेशों से नवीनतम प्रौद्योगिकी का आयात भी किया जाएगा।
रेल की छवि को आधुनिक बनाने के लिए लालू प्रसाद से बजट में कई उन्नयन योजनाओं की घोषणा की गई है। इसके तहत 36,000 कोच में पर्यावरण के अनुकूल शौचालय तैयार करने के लिए अगले पांच वर्षो के दौरान 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। आईटी क्षेत्र में की गई पहल के तहत रेलगाड़ियों की निगरानी को बेहतर बनाने के लिए साफ्टवेयर पर खर्च बढ़ाया जाएगा। रेलवे ने नई वैगन लीजिंग नीति की शुरूआत की है। इसके तहत रेलवे के ग्राहक और कंटेनर परिचालक लीज पर वैगन ले सकते हैं। इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए वैगन लीजिंग कंपनियों की न्यूनतम परिसंपत्ति 250 करोड़ रुपये होनी चाहिए और उन्हें पंजीकरण शुल्क के तौर पर पांच करोड़ रुपये देने होंगे।
रेलवे के बीस हजार किलोमीटर लंबे हाईडेंसिटी नेटवर्क, कोयला-आयरन और रूट-पोर्ट रेल संपर्क लाइनों पर रेलवे का 75 प्रतिशत से अधिक माल यातायात संचालित होता है। इन लाइनों पर बढ़ते हुए भार को देखते हुए इनकी क्षमता को बढ़ाने का निर्णय लिया जा रहा है। इसके तहत 124 योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इन योजनाओं में पूर्वी और पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण भी शमिल है।
रेल मंत्री ने ढुलाई क्षमता में वृद्धि करने के लिए कहा है कि आगामी वर्ष में 20.3 टन एक्सल लोड के बीसीएन और बाक्सन वैगन का निर्माण किया जाएगा। अब केवल स्टेनलेस स्टील से बने 2,209 टन एक्सन लोड के वैगनों का निर्माण किया जाएगा। नये डिजाइन के बीसीएन वैगन का टेयर वजन कम है। इनकी लंबाई कम होने के कारण अब बीसीएन वैगन की ट्रेन में 40 डिब्बों की जगह 58 डिब्बे होंगे । बीसीएन ट्रेन का पेलोड 78 फीसदी बढ़ाकर 2300 से 4100 टन किया जाएगा और साथ ही साथ खुले वैगन की ट्रेनों का पेलोड 22 प्रतिशत बढ़ाकर 4100 टन किया जाएगा।
