प्लास्टिक के एक ही बार इस्तेमाल होने वाले (सिंगल यूज) 22 उत्पादों पर रोक लागू होने से पहले इन्हें बनाने वालों ने सरकार पर हमला बोल दिया है। रोक 1 जुलाई से लागू होनी है मगर एकबारगी इस्तेमाल वाली सख्त प्लास्टिक की प्लेट, ट्रे, चम्मच और कांटे बनाने वाले उद्यमियों ने सरकार पर रोक के लिए अलग-अलग पैमाने अपनाने का आरोप मढ़ दिया है। इनमें से ज्यादातर लघु उद्यम क्षेत्र के हैं।
थर्मोफॉर्मर्स ऐंड अलाइड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने दोटूक लहजे में कहा कि सरकार ने उनके उत्पादों के लिए कायदे तय किए बगैर पूरा प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग को छूट दे दी। मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग का ज्यादातर इस्तेमाल बड़ी वैश्विक और देसी एफएमसीजी कंपनियां स्नैक्स, चिप्स, कॉफी, केचअप (सैशे) की पैकिंग में करती हैं। टीएआईए ने कहा कि ऐसी पैकेजिंग से कचरा बढ़ता है, जो प्राकृतिक रूप से नष्ट नहीं होता और 20 से 30 एमएम माइक्रॉन वाली इस पैकेजिंग की रीसाइक्लिंग भी नहीं होती। मल्टी-लेयर्ड पैकेज विभिन्न सामग्री से बनते हैं, जिनमें प्लास्टिक, एल्युमीनियम आदि शामिल हैं। टीएआईए 850 विनिर्माताओं का प्रतिनिधि है, जहां 2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 5 लाख को परोक्ष रोजगार मिला हुआ है। एसोसिएशन का कहना है कि 75 माइक्रॉन से अधिक के एचडीपीई कैरी बैग (दिसंबर 2022 तक 100 माइक्रॉन से अधिक होना है) को भी छूट दी गई है। ये भी सिंगल यूज प्लास्टिक हैं। पेय कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली 200 मिलीलीटर से अधिक की पीईटी बोतलों को भी छूट की सूची में रखा गया है। मगर अफसोस है कि सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के सख्त प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाले उद्योग पर रोक लगा दी, जबकि हकीकत में उनके उत्पाद की रीसाइक्लिंग संभव है। एसोसिएशन ने कहा कि सरकार ने नियमों के तहत उनके भारी उत्पादों के विनिर्माण, बिक्री, वितरण और भंडारण पर रोक लगा दी है, जबकि सिंगल यूज प्लास्टिक के पूरे कचरे में उनकी हिस्सेदारी 1.5 फीसदी है। एसोसिएशन के सचिव भावेश भोजानी ने कहा, ‘हमारा कहना केवल यह है कि जिस तरह सरकार ने दूसरी श्रेणियों में छूट के लिए कायदे तय किए हैं, वैसे ही कायदे हमारे लिए भी बनाए ताकि हम भी छूट हासिल कर सकें। हमारे सभी उत्पादों की रीसाइक्लिंग संभव है।’
उनका कहना है कि एसोसिएशन ने सरकार से छूट के लिए नियम बनाने को कहा है, जैसे सख्त प्लास्टिक प्लेट और ट्रे 150 माइक्रॉन से कम या 5 ग्राम से कम वजन की न हों। भोजानी ने तर्क दिया कि सरकार के इस प्रतिबंध से रोजगार का नुकसान तो होगा ही, विभिन्न बैंकों से लिए गए 5,000 करोड़ रुपये से ऊपर के कर्ज भी एनपीए में बदल जाएंगे।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि मल्टी लेयर्ड पैकेजिंग को इसलिए मंजूरी दी गई है क्योंकि इनकी भंडारण की अवधि होती है। नए नियमों के तहत उन्हें भी तीन साल के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक की 30 फीसदी रीसाइक्लिंग करनी होगी। जिनको रीसाइकल नहीं किया जा सकता है, उन्हें बिजली या सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
