कपास के प्रति हेक्टेयर उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी के कारण भारत ने अमेरिका को पछाड़ दिया है।
कपास उत्पादन के लिहाज से भारत अब दूसरे स्थान पर आ गया है। चीन 450 लाख बेल के उत्पादन के साथ पहले स्थान पर है जबकि अमेरिका तीसरी पायदान पर चला गया है।
वर्ष 2007-08 के दौरान भारत में कुल 310 लाख बेल कपास का उत्पादन हुआ। अमेरिका में यह उत्पादन 250 लाख बेल रहा। एक बेल में 170 किलोग्राम होते हैं। बीटी कॉटन के इस्तेमाल व टेक्सटाइल के निर्यात में उछाल के कारण कपास उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। टेक्सटाइल के कुल निर्यात में भारत की 35 फीसदी की हिस्सेदारी है। भारत से सालाना 60,000 करोड़ रुपये का टेक्सटाइल निर्यात किया जाता है। कुल जीडीपी में इसकी भागीदारी 4 फीसदी बतायी जाती है।
मुंबई के माटुंगा स्थित केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक (वरिष्ठ श्रेणी) चित्रनायक सिन्हा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘निर्यात में बढ़ोतरी के कारण किसानों को कपास उत्पादन करने में लाभ नजर आ रहा है। दूसरी बात है कि बीटी कॉटन के इस्तेमाल से कपास के प्रति हेक्टेयर उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी हुई है।’
2002-03 के दौरान प्रति हेक्टेयर 313 किलोग्राम कपास का उत्पादन हुआ था, जो वर्ष 2007-08 में 553 किलोग्राम के स्तर पर आ गया। कपास के उत्पादन में पिछले पांच सालों के दौरान दोगुने से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। 2002-2003 के दौरान कपास का उत्पादन 136 लाख बेल था, जो 2007-08 के दौरान बढ़कर 310 लाख बेल हो गया।
भारत में मुख्य रूप से अरबोरियम, हरबासियम, हिरसुतुम व बारबाडेंस नामक कपास की खेती की जाती है। अमेरिकन कपास की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक व तमिलनाडु में होती है। उत्तर भारत में कपास की खेती हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में की जाती है।
अमेरिका को पछाड़ भारत नं.2 बना
सालाना उत्पादन – उत्पादकता
(लाख बेल) – (किलोहेक्टेयर)
(2002-03) – 136 – 313
(2003-04) – 179 – 399
(2004-05) – 243 – 470
(2005-06) – 245 – 469
(2006-07) – 280 – 521
(2007-08) – 310 – 553
(1 बेल = 170 किलोग्राम)