खुदरा और कृषि में ऋण वृद्घि जून, 2021 में सालाना आधार पर अधिक तेज गति से आगे बढ़ी। इससे राज्यों द्वारा प्रतिबंधों में धीरे धीरे ढील देने के बाद आर्थिक गतिविधि में उछाल के संकेत मिलते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक हालांकि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में ऋण वृद्घि जून महीने में सुस्त रही। कृषि और संबंधित गतिविधियों को दिए जाने वाले ऋणों में जून महीने में 11.4 फीसदी की वृद्घि नजर आई जबकि जून 2020 में यह वृद्घि 2.4 फीसदी रही थी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के कार्यकारियों का कहना है कि ऋण में वृद्घि से रबी सीजन में अच्छी पैदावार और लगातार तीसरे वर्ष अच्छे मॉनसून की उम्मीद का पता चलता है।
आवास और वाहनों सहित अन्य क्षेत्र में खुदरा ऋणों में जून 2021 में 11.9 फीसदी की उछाल आई जबकि एक वर्ष पहले यह 10.4 फीसदी रही थी। इसकी सबसे प्रमुख वजह वाहन और स्वर्ण ऋण में हुई मजबूत वृद्घि है। लॉकडाउन में धीरे धीरे ढील दिए जाने और देश में आर्थिक गतिविधि में वृद्घि होने से दूसरी तिमाही से खुदरा बैंक ऋण में तेजी नजर आएगी। हालांकि इसकी रफ्तार महामारी से पूर्व की अवधि में रही वृद्घि दर से कम बनी रहेगी। बैंककर्मियों ने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर आने का बड़ा जोखिम बना हुआ है जिससे गतिविधि प्रभावित हो सकती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2019-20 के महामारी पूर्व समय में जून 2019 में खुदरा ऋण वृद्घि सालाना आधार पर 16.6 फीसदी रही थी।
उद्योग खंड में जून 2021 में समग्र ऋण वृद्घि में एक वर्ष पहले के 2.2 फीसदी की वृद्घि से 0.3 फीसदी का संकुचन आया। आकार वार बड़े उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में मई 2021 में 3.4 फीसदी का संकुचन आया जबकि एक वर्ष पहले इसमें 3.6 फीसदी की वृद्घि हुई थी। जून 2021 में मध्यम आकार वाले उद्योगों को दिए जाने वाले ऋण में 54.6 फीसदी की उछाल आई जबकि एक वर्ष पहले इसमें 9 फीसदी का संकुचन आया था।
जून 2021 में सूक्ष्म और छोटी इकाइयों को दिए जाने वाले ऋण में 6.4 फीसदी की वृद्घि हुई।
