विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) की अगले महीने होने वाली बैठक में भारत मत्स्य पालन समझौते को अंतिम रूप देने को इच्छुक है। हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि प्रस्तावित मसौदे में स्पष्टता व सही संतुलन की कमी है।
अधिकारियों ने आज कहा कि भारत मत्स्य पालन सब्सिडी को लेकर डब्ल्यूटीओ के प्रस्तावित समझौते पर सहमत होगा, अगर उपलब्ध कराए गए सौदे में समानता होगी और यह सदस्य देशों को घाटे की स्थिति में नहीं ले जाएगा।
30 मई को शुरू हो रही बैठक में डब्ल्यूटीओ में लंबे समय से लंबित मसलों पर सभी देशों के बीच बातचीत होगी और समझौते पर पहुंचने के लिए एक सप्ताह तक रोजाना बातचीत जारी रहेगी। उसके बाद इसे जिनेवा में होने वाले 4 दिन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में रखा जाएगा, जो 12 जून से होगा।
वैश्विक व्यापार निकाय चाहता है कि समझौते को लेकर आम राय बनाई जाए, जिसका मकसद गैर कानूनी, रिपोर्ट न किए जाने वाले और नियमन के दायरे में न आने वाले मछली मारने की गतिविधि को सब्सिडी को अलग करना और सतत मत्स्य पालन को बढ़ावा देना है।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘भारत लंबे समय से चल रही बातचीत को निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि वह एकसमान वृद्धि के अवसर मुहैया कराता है और मत्स्य पालन की क्षमता विकसित करने की स्वतंत्रता देता है।’
मौजूदा मसौदे में कम विकसित देशों पर अनुचित तरीके से प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनके पास क्षमता और संसाधन नहीं है, जिससे वे अपने उद्योग और मछुआरों को समर्थन कर सकें।
भारत ने खास उल्लेख किया है कि विकासशील देश दूर तक के पानी में मछली पकडऩे में शामिल नहीं हैं। ऐसे देशो को कम से कम 25 साल के लिए ओवरफिशिंग सब्सिडी प्रतिबंधों से छूट दी जानी चाहिए, जो अभी शुरुआती अवस्था में है।
