केंद्रीय स्टील
उड़ीसा के दौरे पर आए पासवान ने संवाददाताओं से कहा कि स्टील की कीमतों के बारे में फैसला करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप मुमकिन नहीं है, लेकिन यह जिस हिसाब से बढ़ रहा है उसे नियंत्रित करना भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि रेग्युलेटर की नियुक्ति कर सरकार चाहे तो ऐसा कर सकती है, पर अगर सरकार ने ऐसा किया तो चारों ओर से हंगामा मचना शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मीडिया भी इसमें शामिल हो जाएगी। पासवान ने कहा कि इस बारे में आम लोगों की राय ली जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्टील कीमतों पर लगाम कसने केलिए विकल्प के तौर पर स्टील आयात पर लगने वाले कर को शून्य पर लाया जा सकता है। देश में स्टील की मांग में
13 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन इसका उत्पादन सिर्फ 5.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है। स्टील बनाने वाली कंपनियों ने हालांकि कच्चे माल मसलन लौह अयस्क की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह बताते हुए स्टील के दाम बढ़ाए थे, लेकिन स्टील कंपनियों द्वारा की गई बढ़ोतरी में यह भी शामिल है कि भविष्य में एक बार फिर लौह अयस्क की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है।
पासवान ने कहा कि देश में स्टील का उत्पादन बढ़ाकर लंबे समय में इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। अनुमान है कि
2020 तक भारत में स्टील की मांग 300 मिलियन टन की होगी, लेकिन इस दौरान उत्पादन 224 मिलियन टन का ही रहेगा।