शेल के एलएनजी आउटलुक 2021 में कहा गया है कि एशियाई देशों में तरल प्राकृतिक गैस (एलपीजी) की ज्यादातर मांग सामने आ सकती है। कुल मिलाकर वैश्विक एलएनजी मांग साल 2040 तक 70 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। इस बढ़त में एशिया का योगदान करीब 75 फीसदी होगा क्योंकि देसी गैस का उत्पादन घट रहा है और एलएनजी उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा करने के लिए काफी बदलाव ला रहा है।
आउटलुक के मुताबिक, मांग बढऩे पर आपूर्ति मांग का अंतर मौजूदा दशक के मध्य तक नजर आएगा क्योंकि पहले के अनुमान से कम उत्पादन होगा। साल 2020 में महज 30 लाख टन वाली नई एलएनजी उत्पादन क्षमता की घोषणा हुई है, जो 6 करोड़ टन के अनुमान के मुकाबले काफी कम है।
इस वजह से एलएनजी की कीमतें और बढ़ सकती हैं, जैसा कि 2021 के शुरू मेंं देखा गया था जब एलएनजी की हाजिर कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी।
आउटलुक में अनुमान जताया गया है कि भविष्य में एलएनजी की आधी से ज्यादा मांग वैसे देशोंं से आएगी, जहां शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य है। इसमें कहा गया है कि एशिया में एलएनजी की मांग काफी ज्यादा बढ़ेगी। चीन ने साल 2060 तक कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य बनाया है और इससे एलएनजी की मांग में बढ़त जारी रहने की संभावना है क्योंकि यह बिल्डिंग, भारी उद्योग, शिपिंग और हैवी ड््यूटी रोड ट्रांसपोर्ट में कार्बन घटाने में अहम भूमिका निभाएगा।
एशिया के दो अन्य अहम एलएनजी आयातक देश जापान व दक्षिण कोरिया ने भी साल 2020 में शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य बनाया है। इसे पूरा करने के लिए दक्षिण कोरिया का इरादा कोयला से चलने वाले 24 बिजली संयंत्र को साल 2024 तक एलएनजी आधारित बनाने का फैसला लिया है। आउटलुक मेंं ये बातें कही गई है। इसमें कहा गया है कि भारत व चीन में साल 2020 में मांग बढ़ी। रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के बाद चीन व भारत की अगुआई में एलएनजी की मांग में सुधार हुआ। चीन ने एलएनजी का आयात 70 लाख टन बढ़ाकर 6.7 करोड़ टन पर पहुंचा दिया जबकि बारत में आयात 11 फीसदी बढ़ा।
