कोविड-19 महामारी की वजह से ईंधन बाजार में कीमतों में आए उफान को देखते हुए भारत को अपने तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) बाजार के लिए सामरिक भंडारों की ओर देखना पड़ सकता है। कीमत में उछाल को सफलतापूर्वक कम करने के लिए देश को करीब 7-8 अरब घन मीटर (बीसीएम) रिजर्वों की आवश्यकता पड़ सकती है। देश के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की कम हिस्सेदारी ऐसे रिजर्वों की व्यवहार्यता पर प्रश्नचिह्न खड़े करता है।
एलएनजी के 7-8 बीसीएम रिजर्वों का अनुमान विकसित देशों में इसी प्रकार के रिजर्वों पर आधारित है। गैस निर्यातक देश फोरम के मुताबिक वैश्विक गैस भंडारण क्षमता करीब 417 बीसीएम है जिसमें अमेरिका और यूरोपीय संघ की हिस्सेदारी इसके 55 फीसदी के करीब है।
इससे यूरोपीय संघ में 80 दिनों की गैस आवश्यकता और अमेरिका में 58 दिनों की आवश्यकता की पूर्ति हो सकती है। और भंडारण तथा खपत का अनुपात यूरोपीय संघ और अमेरिका में क्रमश: करीब 22 फीसदी और 16 फीसदी है।
इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘चूंकि भारत ने मोटे तौर 2018-19 में 33 बीसीएम और 2019-20 में 31 बीसीएम प्राकृतिक गैस की खपत की थी, ऐसे में देश को विकसित देशों की तर्ज पर कीमत में उछाल पर काबू पाने के लिए करीब 7-8 बीसीएम रिजर्व की आवश्यकता होगी।’ आपूर्ति में संकुचन आने से अक्टूबर 2021 में एलएनजी के लिए एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्टस जापान-कोरिया-मार्कर 56.326 डॉलर प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) हो गई। यह स्थिति कैलेंडर वर्ष 2020 की पहली छमाही में कीमतें गिरकर रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर (2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू) और दूसरी छमाही में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद हो रहा है।
केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने पिछले महीने प्राकृतिक गैस और कोयले के भंडार की जरूरतों पर बल दिया था, तब देश के विद्युत संयंत्रों में कोयल की कमी नजर आ रही थी। कुमार ने कहा, ‘हमें कोयला, गैस, तेल जैसे ईंधनों के सामरिक भंडार रखने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए ताकि अर्थव्यवस्था किसी भी स्थिति को संभालने में सक्षम बने और करीब एक महीने तक की आपूर्ति की कमी को झेल सके। यह लागत देश द्वारा सामाना किए जा रहे व्यवधान और अनिश्चितता की लागत की तुलना में बहुत कम होगी।’
देश में प्राकृतिक गैस पाइपलाइन की सबसे बड़ी परिचालक गेल (इंडिया) के कार्यकारियों के मुताबिक घरेलू बाजार में प्राकृतिक गैस की कोई कमी नहीं थी और अक्टूबर महीने में विद्युत संयंत्रों को किए जाने वाली आपूर्ति को तीन गुना बढ़ाकर करीब 1.6 करोड़ स्टैंडर्ड घन मीटर प्रति दिन किया गया था।
