सोयाबीन और रेपसीड की खली के निर्यात में हुई मजबूत बढ़ोतरी के सहारे भारत से अप्रैल से अक्टूबर 2008 की अवधि के दौरान किए गए कुल खली का निर्यात 55 प्रतिशत बढ़ कर 26.62 लाख टन हो गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 17.16 लाख टन था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में सोयाबीन तथा रेपसीड की खली के निर्यात बढ़ कर क्रमश: 17.16 लाख टन और 6.34 लाख टन हो गए जबकि पिछले साल की समान अवधि में ये क्रमश: 9.44 लाख टन और 4.5 लाख थे।
वियतनाम भारतीय खली का सबसे बड़ा आयातक बन कर उभरा है। एसईए के आंकड़ों के अनुसार वियतनाम को किया जाने वाला निर्यात 5.99 लाख टन से बढ़ कर इस साल की समान अवधि में 6.33 लाख टन हो गया है, यह 6 प्रतिशत की वृध्दि को प्रदर्शित करता है।
उसी तरह, दक्षिण कोरिया को किए जाने वाले निर्यात में भी 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 5.05 लाख टन हो गया है। मई 2008 में एसईए के शिष्टमंडल के दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लौटने के बाद खली के निर्यात में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है।
तेल वर्ष 2005-08 के दौरान खली के निर्यात में पिछले साल के मुकाबले काफी वृध्दि हुई है। इस अवधि के दौरान 63.9 लाख टन का निर्यात किया गया जबकि साल 2006-07 में यह 49.2 लाख टन था। सोयाबीन की रेकॉर्ड फसल और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर कीमत मिलने के कारण भारत के खली निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है।