क्या कर्जमाफी से वास्तव में किसानों को मदद मिलती है? नाबार्ड और उत्पादकों के एक समूह भारत कृषक समाज की ओर से कराए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र के करीब 40 प्रतिशत किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिला, जो ‘बहुत ज्यादा तनाव’ में थे। अप्रैल 2017 के बाद इन राज्यों ने किसान कर्जमाफी की घोषणा की थी।
नाबार्ड ने सर्वे में पाया कि 2012 से अब तक 13 राज्यों ने कर्जमाफी योजना लागू की, जिसके चुनावी असर के बारे में खूब चर्चा होती है। अध्ययन में पाया गया, ’21 राजनीतिक दलों में सिर्फ 4 को चुनावी हार का सामना करना पड़ा, जिन्होंने किसान कर्जमाफी का चुनावी वादा किया था।’ इसका मतलब यह है कि कृषि कर्जमाफी का राजनीतिक दलों को लाभ मिलता है।
इस अध्ययन में यह भी पाया गया है कि कर्जमाफी से जान बूझकर चूक करने वाले किसानों की संख्या बढऩे की संभावना रहती है और सर्वे में शामिल करीब 72 से 85 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे ईमानदार किसानों को भी कृषि ऋण में चूक करने की ओर आकर्षित किया जाता है।
सर्वे में शामिल बहुसंख्य किसानों (97 से 98 प्रतिशत) ने यह भी कहा कि आमदनी व उत्पादन संबंधी मसले उनके लिए कर्ज की तुलना में बड़ी समस्या है।
यह सर्वे 3 राज्यों पंजाब, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 126 गांवों के करीब 3,835 किसानों पर किया गया। सर्वे जनवरी से अगस्त 2020 के बीच हुआ है।
सर्वे में शामिल करीब 94 प्रतिशत किसान लघु व सीमांत किसान थे। नाबार्ड के इस सर्वे के परिणाम एक और अध्ययन के विपरीत है, जिसे केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एग्रो-इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर (एईआरसी) द्वारा कुछ समय पहले कराया था। यह पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों पर कर्जमाफी के पडऩे वाले असर को लेकर था।इसमें पाया गया था कि कर्ज माफ किए जाने के बाद लाभार्थियों की आमदनी बढ़ी है, लेकिन मशीनरी और पशुओं के चारे पर निवेश भी बढ़ गया है। अध्ययन में यह भी पाया गया था कि पंजाब और उत्तर प्रदेश में कर्ज से छूट के बाद कृषि के आकार में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है, जिससे पता चलता है कि इसका लाभार्थियों की भूमिधारिता पर कोई असर नहीं पड़ता है।
बहरहाल अगर सकारात्मक पहलू देखें तो नाबार्ड के सर्वे में पाया गया है कि 3 राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश औऱ महाराष्ट्र के कृषि ऋण के लाभार्थियों आगे फिर से कर्ज लेने में किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा है।
इसमें यह भी पाया गया है कि फसलों को नुकसान कर्ज की स्थिति और आमदनी के लिए कृषि पर पूरी तरह से निर्भरता इन तीन राज्यों में किसानों की आत्महत्या की प्रमुख वजह है। सर्वे में कहा गया है, ‘सिर्फ कर्ज ही किसानों की आत्महत्या के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि फसलों को नुकसान और कर्ज दोनों मिलाकर इसके लिए जिम्मेदार हैं।’
