व्यापारियों ने दावा किया कि नौपरिवहन के लगभग चार जहाज मंगलवार तक अब भी कांडला बंदरगाह में फंसे हुए हैं, जो 13 मई से पहले निर्यात की मंजूरी वाले गेहूं की लदाई करने के लिए बर्थ (घाट पर जहाज के लिए आवंटित स्थान) का इंतजार कर रहे हैं।
व्यापारिक सूत्रों ने कहा कि इनमें से प्रत्येक में 30,000 से लेकर 65,000 टन तक गेहूं वहन करने की क्षमता है। व्यापारियों ने कहा कि कुछ दिन पहले तक लगभग आठ जहाज सभी मंजूरी होने के बावजूद बर्थ का इंतजार कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछेक दिनों में अधिकारियों ने चार खेपों को मंजूरी दे दी।
व्यापारियों ने दावा किया है कि इन सभी खेपों को 13 मई से पहले उनकी सीमा शुल्क संबंधी आवश्यकताओं के लिए मंजूरी दे दी गई थी और इनके पास वैध शिपिंग बिल तथा साख पत्र (एलसी) भी है।
इसके अलावा बंदरगाहों पर 15 लाख टन से लेकर 16 लाख टन तक का और भी ऐसा गेहूं है, जिसमें वैध साख पत्र नहीं हैं या उनके एवेज में अग्रिम भुगतान नहीं किया गया है।
इस तरह देश के बंदरगाहों पर निर्यात की मंजूरी के इंतजार में कुल मिलाकर लगभग 20 लाख टन पड़ा हुआ है।
एक वैश्विक व्यापारिक फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने बिजने स्टैंडर्ड को बताया कि नौपरिवहन वाले इन जहाजों, जिनके पास सभी मंजूरियां हैं, को बर्थ की अनुमति नहीं दी जा रही, क्योंंकि प्रतिबंध लागू होने के बाद अधिकारी अतिरिक्त दस्तावेज मांग रहे हैं, जिससे निर्यातकों और नौपरिवहन कंपनियों को समान रूप से विलंब की वजह से नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 13 मई से निर्यातक प्रति जहाज औसतन करीब 25,000 डॉलर से लेकर 40,000 डॉलर प्रतिदिन का विलंब शुल्क भुगतान कर रहे हैं, जो बड़ी राशि होती है।
जिंस व्यापारियों के संगठन – इंडियन ट्रेड एसोसिएशन (आईटीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया किविदेश व्यापार नीति और प्रक्रिया पुस्तिका के अनुसार, जो सभी भारतीय निर्यात प्रतिबद्धताओं का मार्गदर्शन करती है, भेजी जाने वाली जो वस्तुएं निर्यात पथ पर आ चुकी हैं और सभी वैध दस्तावेज हैं, तो उन्हें खेप भेजने की अनुमति दी जाएगी। इसलिए अगर किसी निर्यातक के पास 13 मई से पहले का वैध शिपिंग बिल है और अन्य सभी दस्तावेज और मंजूरी मिल चुकी हैं, तो उसे अपना दायित्व पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
व्यापारियों ने कहा कि भारत की कई प्रमुख निर्यात कंपनियां और अनाज व्यापारी पहले से ही अप्रत्याशित घटना की शर्त लागू कर चुके हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों की निर्यात प्रतिबद्धता रद्द हो गई है।
इस बीच विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा है कि वह ऐसे गेहूं निर्यात के लिए अनुमति नहीं देगा, जहां 13 मई (निर्यात प्रतिबंध की तारीख) के बाद अपरिवर्तनीय साख पत्र जारी किए गए हैं।
