वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में स्थिर मूल्य पर 4.5 प्रतिशत की बेहतरीन वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल की समान तिमाही में वृद्धि दर 3 प्रतिशत और 2019-20 की दूसरी तिमाही में यह वृद्धि 3.5 प्रतिशत थी।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में सकल मूल्यवर्धन 4.5 प्रतिशत था।
जुलाई से सितंबर 2021 के दौरान मौजूदा मूल्य पर भी 7.9 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 7.3 प्रतिशत की तुलना में ज्यादा है। लेकिन यह 2019-20 की दूसरी तिमाही के 8.7 प्रतिशत की तुलना में कम है।
इस तरह से महंगाई का असर वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत रहा है, जो पिछले वित्त वर्ष के 4.3 प्रतिशत की तुलना में कम है और यह 2021-22 की पहली तिमाही के 6.6 प्रतिशत की तुलना में भी कम है।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘इस तिमाही में कृषि वृद्धि दर 3.5 से 4 प्रतिशत के दीर्घावधि औसत की तुलना में थोड़ी बेहतर है। यह शुद्ध रूप से सांख्यिकीय वजहों से है क्योंकि जुलाई से सितंबर की अवधि के दौरान बहुत कम फसल बाजार में आती है। यह ज्यादातर रबी की बची हुई फसल और संबंधित क्षेत्र का उत्पादन होता है, जिसका असर होता है।’
उन्होंने कहा कि पूरे साल में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों की वृद्धि दर 3.5 से 4 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है, जो इस क्षेत्र का दीर्घावधि औसत है।
खरीफ का मौसम अभी खत्म हुआ है। 2021-22 (जुलाई से जून) के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक कुल उत्पादन रिकॉर्ड 1,505 लाख टन होने का अनुमान है, लेकिन तिलहन का उत्पादन 233.9 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 2.66 प्रतिशत कम है।
तिलहन में मूंगफली उत्पादन 82.8 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 3.5 प्रतिशत म होगा, जबकि सोयाबीन उत्पादन 127.2 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल से 1.08 प्रतिशत कम है।
सितंबर में जारी पहले अनुमान के मुताबिक दलहन में स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर नजर आ रही है। खरीफ में दलहन का उत्पादन 94.5 लाख टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल की तुलना में 8.74 प्रतिशत ज्यादा होगा। इनमें से अरहर, जिसका खरीफ में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है, का उत्पादन 44.3 लाख टन होने का अनुमान है,जो पिछले साल से 3.5 प्रतिशत ज्यादा है।
बहरहाल विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादन के शुरुआती अनुमान के आधार पर दलहन और तिलहन के बारे में कुछ कहना उचित नहीं होगा क्योंकि अंतिम उत्पादन अनुमान से कम रह सकता है।
2020-21 में दलहन उत्पादन पहले व अंतिम अनुमान के बीच 6.65 प्रतिशत कम रहा था।
अगर आगे की स्थिति देखें तो रबी की फसलों की बुआई भी शुरू हो गई है और पिछले सप्ताह तक रबी की फसल की 341.3 लाख हेक्टेयर बुआई हुई थी, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 7 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे ज्यादा वृद्धि सरसों के रकबे में 16 लाख हेक्टेयर हुई है, जिसके बाजार भाव में इस साल खाद्य तेल में तेजी की वजह से उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
