पिछले चार महीनों में स्पंज आयरन बनाने वाली लगभग 300 इकाइयां कार्यशील पूंजी के अभाव में बंद हो गई हैं। इन इकाइयों की क्षमता सालाना 30,000 टन से 60,000 टन की थी।
खनिज की अधिकता वाले राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखांड और उड़ीसा में प्रमुख तौर पर काम कर रही इन इकाइयों में से अधिकांश ने अपनी फैक्ट्री की परिसंपत्तियों को गिरवी रखते हुए नये ऋण के लिए आवेदन किया जबकि अन्य पिछले कर्जे चुकाने में डीफॉल्ट कर गए।
इस नई बंदी के शुरुआत के साथ ही स्पंज आयरन उद्योग की क्षमता लगभग 25 प्रतिशत घट गई है और इसके परिणामस्वरूप सीधे तौर पर 10,000 लोग बेरोजगार हो गए हैं। अब छोटी फैक्ट्रियों की समस्या धीरे-धीरे मध्यम आकार की इकाइयों में फैलती जा रही है क्योंकि उनके पास भारी भंडार है।
मांग में शायद इसलिए इतनी कमी आई है क्योंकि स्टील मिलों ने उत्पादन में 20 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है। इससे बाजार की धारणा भी बुरी तरह प्रभावति हुई है। स्टील निर्माण के लिए स्पंज आयरन एक प्रमुख कच्चा माल है।
एक औद्योगिक अधिकारी ने कहा, ‘यह स्पंज आयरन और स्टील दोनों उद्योगों के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि अगले कुछ महीनों में अगर वित्तीय संकट नरम भी पड़ता है उसके बावजूद ये संयंत्र अपना परिचालन फिर से शुरू नहीं कर सकते हैं।’
इन छोटी इकाइयों के लिए समस्याओं की शुरुआत इस साल अगस्त के महीने में हुई जब स्टील की वैश्विक कीमतों में नरमी आने लगी थी। कच्चे मालों पर इसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था और फलस्वरूप जैसे-जैसे स्टील की कीमतें घटती गईं वैसे-वैसे स्पंज आयरन की कीमतों में भी गिरावट आई।
पिछले चार महीनों में स्पंज आयरन की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। 7 अगस्त को इसकी कीमतें जहां 28,500 रुपये प्रति टन हुआ करती थी पहीं वर्तमान में इसकी कीमतें 14,000 रुपये प्रति टन हैं।
हालांकि, स्पंज आयरन की कीमतों में दिवाली के बाद मजबूती आई है। जरूरत आधारित मांगों के कारण दिवाली से पहले इसकी कीमतें 12,500 रुपये प्रति टन हो गई थीं। पाइपलाइन इन्वेन्टरी के पूर्णत: समाप्त हो जाने के कारण कम मांग से भी इसका बाजार सकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है।
पिछले चार महीनों में लौह अयस्क फाइन्स (63 प्रतिशत लौह तत्व वाले) की कीमतें 35 प्रतिशत घट कर 55 डॉलर प्रति टन हो गई जबकि 65 प्रतिशत लौह तत्व वाले अयस्क की कीमतों में 25 प्रतिशत की कमी आई और यह 65 से 70 डॉलर प्रति टन रहा।
प्रधान उधारी दरों में कमी की शुरुआत होने और बुनियादी परियोजनाओं के प्रति सरकार के सकारात्मक रुख के साथ भारतीय आर्थिक दशा में सुधार की वास्तविकता को देखते हुए बैंक औद्योगिक इकाइयों खास तौर से स्टील और बुनियादी परियोजनाओं को ऋण उपलब्ध कराने के निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकती हैं।
अधिकारी ने बताया कि अगले छह महीने तक परिस्थितियों के सुधरने की कोई आशा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में फिर से कुछ स्पंज आयरन बनाने वाली इकाइयां बंद हो सकती हैं जिससे उद्योग की कुल क्षमता में और कमी आएगी। सितंबर 2006 में स्पंज आयरन इकाइयों को ऐसे ही संकट से गुजरना पड़ा था।