अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू बाजार के लिए वनस्पति तेलों के आयात में इस साल फरवरी महीने के दौरान गत साल की समान अवधि के मुकाबले लगभग
सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन
(एसइएआई) से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष फरवरी महीने के दौरान 150,927 टन खाद्य तेलों का आयात किया गया था जबकि इस साल फरवरी महीने में यह आयात बढ़कर 430,992 टन पर पहुंच गया। दूसरी ओर गैर खाद्य तेलों के आयात में भी जबरदस्त इजाफा दर्ज किया गया।
गत वर्ष के 19,056 टन के मुकाबले इस साल 84,237 टन गैर खाद्य तेलों का आयात किया गया। खाद्य तेलों के मामले में देश की घरेलू खपत की 40 फीसदी की पूर्ति आयात के द्वारा की जाती है। लोगों के वेतन में हुई बढ़ोतरी व अन्य आय के बढ़ने से देश की कुल खपत में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
लिहाजा खाद्य तेलों की मांग में भी खासा इजाफा हुआ है। जिंस जानकारों के मुताबिक अगर देश में खाद्य तेलों की खपत के मुताबिक उत्पादन नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह आयात 40 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच सकता है। इस साल जनवरी से लेकर अबतक घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की क ीमत में 10 से 28 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
गत 2 जनवरी को जिस सोयाबीन तेल की कीमत 54,000 रुपये प्रतिटन थी अब उसकी कीमत 69,000 रुपये प्रतिटन पर पहुंच गई है। इसकी कीमत में लगभग 28 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। उसी ढ़ंग से मूंगफली के तेल की कीमत में 13.08 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सूरजमुखी में 19.69 फीसदी तो पामोलीन में 25.10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सीईएआई के कार्यकारी निदेशक बीवी गुप्ता के मुताबिक सबसे बड़ी बात यह है कि शुल्क में कमी के बावजूद खाद्य तेलों की कीमत लगातार बढ़ रही है। डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने के कारण हमें इस मामले में थोड़ी राहत है, नहीं तो आने वाले समय में इसके दाम में 15 फीसदी तक का उछाल आ सकता था। नवंबर, 2007 से लेकर फरवरी, 2008 के बीच खाद्य व गैर खाद्य तेलों के आयात में 40 फीसदी का उछाल आया है। दिलचस्प बात ये है कि इस मौसम में देश में तिलहन की पेराई होती है।