आंध्र प्रदेश में हाल में हुई बारिश ने हल्दी को काफी नुकसान पहुंचाया है और इसके सुखाने की प्रक्रिया में बाधा आई है।
हालांकि अभी यह मजबूत स्थिति में है, लेकिन इस साल इसकी पैदावार में 15 फीसदी की कमी के आसार हैं। पैदावार में कमी के चलते इसमें तेजी का रुख बने रहने की संभावना जताई जा रही है। एग्रीवॉच कमोडिटीज की विशेषज्ञ सुधा आचार्य के मुताबिक, कुछ सेंटर पर हल्दी को सुखाने की प्रक्रिया चल रही है और कुछ जगह तो इसकी कटाई भी शुरू नहीं हुई है।
ऐसे में हाल में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र के कुछ इलाके और इससे सटे कर्नाटक के इलाकों में बारिश ने हल्दी सुखाने की प्रक्रिया में अवरोध खड़ा किया है और इस वजह से बाजार में इसकी आवक कम हो गई है।
लंबी छुट्टी के बाद सोमवार को जब बाजार खुले तो हल्दी के एक बड़े केंद्र निजामाबाद में सिर्फ 1500 बैग हल्दी पहुंची जबकि ऐसे समय में यहां कम से कम 10 हजार बैग की आवक होती रही है। वैसे व्यापारियों और कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में हल्दी का बाजार तेजी का रुख लिए रहेगा। अभी हल्दी की आवक जोर नहीं पकड़ पाई है। हल्दी के नए केंद्र दुग्गीराला और वारंगल में अभी हल्दी की आवक तेज नहीं हुई है।
पिछले पांच महीने में हल्दी वायदा कुल 1800 रुपये प्रति क्विंटल से 3500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गया है। कोटक कमोडिटीज के विशेषज्ञ फैयाज हुडानी ने कहा – छोटी अवधि में हल्दी में मुनाफावसूली का दौर चल सकता है, लेकिन आने वाले दिनों में 3800 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तो रहेगा ही। इस साल देश में हल्दी की पैदावार 42-43 लाख बैग (प्रति बैग 75 किलो) रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल हल्दी की पैदावार 52-53 लाख बैग की हुई थी।
सांगली के एक व्यापारी मिलन शाह ने बताया कि हल्दी में तेजी आएगी। स्थानीय बाजार से इसकी अच्छी मांग निकल रही है, लेकिन निर्यात के मोर्चे पर इसमें गिरावट दर्ज की गई है। यह देखा जाना अभी बाकी है कि 50 हजार टन हल्दी निर्यात का लक्ष्य पूरा हो पाएगा या नहीं। गौरतलब है कि कुल हल्दी पैदावार का औसतन 10-15 फीसदी हिस्सा निर्यात किया जाता है।
अप्रैल 2007 से फरवरी 2008 के बीच भारत से कुल 44 हजार टन हल्दी का निर्यात हुआ, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 6 फीसदी कम है। हुडानी ने कहा कि हल्दी की कीमत में उछाल की वजह से निर्यात पर असर पड़ा है और निर्यात लक्ष्य पूरा किया जाना फिलहाल अनिश्चित है।