मार्च महीने में खली के निर्यात में 13 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया क्योंकि इस दौरान सोया खली, रेपसीड खली, अरंडी की खली आदि के शिपमेंट में काफी तेजी आई।
इस साल मार्च में खली का निर्यात 853675 टन का रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 755450 टन खली का निर्यात हुआ था। 2007-08 में कुल खली निर्यात में 5.25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 5442132 टन का रहा जबकि एक साल पहले यह 5170700 टन का रहा था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स असोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में निर्यात में गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि 2006-07 में पैदावार में कमी आई थी। वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सोयाबीन केरेकॉर्ड 94 लाख टन की पैदावार के चलते निर्यात में तेजी आई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छी कीमत मिली। इस तरह पहली छमाही में हुई गिरावट की भरपाई हो गई।
अप्रैल 2007 में सोया की खली की कीमत 269 डॉलर प्रति टन थी, जो मार्च 2008 में बढ़कर 407 डॉलर प्रति टन हो गई। इसी तरह रेपसीड खली की कीमत भी लगभग दोगुनी हो गई और यह 129 डॉलर प्रति टन से 233 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। चने की खली की कीमत इस दौरान 220 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 320 डॉलर प्रति टन हो गई।
अरंडी की खली की कीमत 70 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 141 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। इस तरह कुल निर्यात आय 65 फीसदी बढ़कर 7109 करोड़ रुपये पर पहुंच गई जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 4300 करोड़ रुपये का था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स असोसिएशन द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, अच्छी कीमत मिलने के कारण घरेलू प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर रुपये में आए उछाल का खास असर नहीं पड़ा। 2007-08 में वियतनाम को होने वाले निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई। वियतनाम ने कुल 1708053 टन खली का भारत से आयात किया।
दक्षिण कोरिया ने 1032800 टन खली का आयात किया जबकि जापान ने कुल 749875 टन खली का। चीन ने इस दौरान भारत से खली आयात में कमी की और इसने 143975 टन रेपसीड खली, 150500 टन सोया खली और 51825 टन चने की खली का आयात किया।