कोविड-19 की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर के दौरान स्वर्ण बॉन्डों की बिक्री काफी ऊंची रही। हालांकि दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन संबंधित कम सख्ती बरती गई। इससे इस निवेश विकल्प की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत मिलता है।
पहली लहर में, लॉकडाउन देशव्यापी और बेहद सख्त था। इसके परिणामस्वरूप, आभूषण दुकानें और ई-कॉमर्स वेबसाइटों को स्वर्ण बिक्री के लिए नहीं खोला गया था। गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी), दोनों ही खरीदारों के बीच विकल्पों में शामिल रहे।
चूंकि अब लॉकडाउन हट रहा है और पारंपरिक स्वर्ण खरीदारी मुख्य विकल्प है, इसलिए अप्रैल-जुलाई में एसजीबी की बिक्री 12 टन पर पहुच गई, भले ही जुलाई महीने की सरीजी बॉन्ड बिक्री को जुलाई 2020 के मुकाबले कुछ हद तक कमजोर माना जा रहा है।
नवंबर 2015 में पहली पेशकश के बाद से अब तक, 74 टन से ज्यादा के बॉन्ड जारी किए चुके हैं। स्वर्ण ईटीएफ में बकाया 2017 (जब इन्हें पेश किया गया था) के बाद से 30 टन से कुछ ज्यदा है।
अप्रैल-जुलाई 2021 में बिक्री अब तक मई में अक्षय तृतीया की वजह से ऊंची रही है। मई में 5.3 टन के स्वर्ण बॉन्ड जारी किए गए थे। मई 2021 में दो बार में जारी बॉन्डों में बिक्री 7.2 टन पर दर्ज की गई थी। कोटक महिंद्रा बैंक के अध्यक्ष एवं बिजनेस हेड (ग्लोबल ट्रांजेक्शन बैंकिंग) शेखर भंडारी ने कहा, ‘एसजीबी अब देश में श्रेष्ठ डिजिटल स्वर्ण उत्पाद के तौर पर मान्यताप्राप्त हैं। सभी क्षेत्रों और उम्र वर्ग में ग्राहकों की बढ़ती संख्या ने इसे इस परिसंपत्ति वर्ग में निवेश का श्रेष्ठ विकल्प बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि स्वर्ण सिक्कों के लिए पारंपरिक बिक्री में अक्षय तृतीया का योगदान अच्छा नहीं था, लेकिन बॉन्डों में यह रुझान सामान्य हो रहा है।
भंडारी ने कहा, ‘कुछ वर्षों में डिजिटल ट्रेंड मजबूत हुए हैं। सुरक्षित, सरल और सरकार से गारंटी ने इसे आसान बनाया है। अक्षय तृतीया पर कमजोरी के बाद अब हम शानदार दीवाली (बिक्री के संदर्भ में) की उम्मीद कर रहे हैं। वर्ष 2021 और 2022 में सोना निवेशकों को आकर्षित करेगा।’
बॉन्डों को स्वर्ण खरीदारी के लिहाज से पसंदीदा निवेश विकल्प समझा जाता है, क्योंकि इन्हें बाजार भाव के मुकाबले कम पर बेचा जाता है। इसके अलावा, वे अपनी निवेश वैल्यू पर सालाना 2.5 प्रतिशत प्रतिफल प्रदान करते हैं और यह प्रतिफल लोगों के लिए दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर से मुक्त होता है, बशर्ते कि बॉन्ड-धारक आठ साल की पूरी अवधि तक निवेश से जुड़ा रहे। एसजीबी के लिए औसत सालाना मांग पारंपरिक स्वर्ण निवेश मांग के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर रही है, लेकिन कोविड की स्थिति में यह बढ़ गई है।
