भारत सरकार ने दोनिमलाई लौह अयस्क की पट्टा अवधि को बढ़ाने के लिए कर्नाटक सरकार और इस्पात मंत्रालय के साथ एक करार किया है। एनएमडीसी खदान का परिचालन कर रही है लेकिन नवंबर 2018 से परिचालन बंद है।
एनएमडीसी ने कहा कि एनएमडीआर अधिनियम 1957 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग कर भारत सरकार ने कर्नाटक सरकार और इस्पात मंत्रालय के साथ करार किया है ताकि दोनिमलाई लौह अयस्क का पट्टा बढ़ाया जाए। पट्टा नवंबर 2018 से 20 वर्ष के लिए बढ़ाया गया है।
कंपनी ने कहा कि इस निर्णय से न केवल खदान के परिचालन का मार्ग प्रशस्त हुआ है बल्कि यह एक उपयुक्त समय पर लिया गया निर्णय है जब इस्पात कंपनियां लौह अयस्क की आपूर्ति की कमी से जूझ रही हैं।
दोनिमलाई लौह अयस्क खदान के पास कुल रियायत क्षेत्र 597.54 हेक्टेयर क्षेत्र है और 14.9 करोड़ टन के अनुमानित स्रोत से देश में सालाना लौह अयस्क उत्पादन 70 लाख टन बढ़ जाएगा। अयस्क की मौजूदा उच्च दर के आधार पर उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में दोनिमलाई लौह अयस्क खदान से सरकारी खजाने में करीब 400 करोड़ रुपये आएगा।
खदान के परिचालन से हर साल सरकारी खजाने में कुल मिलाकर करीब 1,100 करोड़ रुपये की आदम होगी। इस खदान के चालू हो जाने से 2030-31 तक सालाना 30 करोड़ टन कच्चा इस्पात की क्षमता हासिल करने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायता मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में एनएमडीसी की दोनिमलाई खदान में 2018 से काम बंद है। इसकी वजह है कि एनएमडीसी और कर्नाटक सरकार के बीच दोनिमलाई खदान को लेकर कानूनी लड़ाई छिड़ गई थी।
