वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हरित अर्थव्यवस्था के लिए कई नीतियों की घोषणा की है। हरित विकास को अमृत काल का प्रमुख घटक बनाना आने वाले 25 वर्षों के लिए भाजपा शासित केंद्र सरकार का सपना है।
देश के शुद्ध शून्य 2070 और संबंधित जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप केंद्रीय बजट में हरित औद्योगिक और आर्थिक परिवर्तन को बढ़ावा दिया गया है।
रिकॉर्ड स्तर का बजट अनुदान ऊर्जा परिवर्तन के लिए किया गया है, जो अर्थव्यवस्था के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित ईंधन तथा हरित ऊर्जा स्रोतों की ओर छलांग लगाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण चालक होगा।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘यह बजट पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा परिवर्तन और शुद्ध शून्य (नेट जीरो) उद्देश्यों और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में प्राथमिकता प्राप्त पूंजीगत निवेशों के लिए 35,000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है।’
केंद्र ने तेल मंत्रालय पर भरोसा जताया है, जिसके पास देश के ऊर्जा परिवर्तन के संचालन के लिए स्वाभाविक रूप से सबसे अधिक जीवाश्म ईंधन की पहुंच है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के व्यय बजट के अनुसार तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को 30,000 करोड़ रुपये तथा शेष राशि रणनीतिक तेल भंडार के लिए आवंटित की गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि तेल विपणन कंपनियों के लिए पूंजीगत व्यय आधुनिक समय के ईंधन – हरित हाइड्रोजन, एथनॉल और अन्य जैव ईंधन पर
केंद्रित होगा।
वर्तमान में तेल विपणन कंपनियां हरित हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में लगी हुई हैं। 19,000 करोड़ रुपये के नए घोषित हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत रिफाइनरियों सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए हरित हाइड्रोजन की अनिवार्य खरीद निर्धारित की गई है।
तेल विपणन कंपनियों ने जैव अवशेषों और कृषि अपशिष्ट से एथनॉल का उत्पादन करना शुरू भी कर दिया है। यह योजना पेट्रोलियम के साथ अधिक स्तर पर एथनॉल मिश्रण के केंद्र के दीर्घकालिक लक्ष्य के अनुरूप है। ई20 या 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण वाले पेट्रोलियम की खुदरा बिक्री 1 अप्रैल से की जाएगी।
निवेशकों की दिलचस्पी और बढ़ाने के लिए 4,000 मेगावॉट क्षमता तक के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) और पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स को ‘वायबिलिटी गैप फंडिंग’ (वीजीएफ) से सहायता प्रदान की जाएगी।
लद्दाख से 13 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा की निकासी और ग्रिड एकीकरण के लिए बनाई जा रही 20,700 करोड़ रुपये वाली अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली के लिए 8,300 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की घोषणा की गई। वित्त मंत्री सीता रमण ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम की भी घोषणा की है।