ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के मामले में वर्ष 2024 के आम चुनावों से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आखिरी पूर्ण बजट में कृषि को डिजिटल बनाने, जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने तथा सहकारी समितियों की गतिविधियों को बढ़ावा देने की परंपरागत घोषणाओं के अलावा 2.95 करोड़ ग्रामीण घरों को पूरा करने पर बड़ा ध्यान केंद्रित किया गया।
हालांकि आलोचकों और टिप्पणीकारों ने कहा कि इन घोषणाओं का ग्रामीण क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देने के संबंध में कुछ खास असर नहीं पड़ेगा, जो अधिक मुद्रास्फीति के कारण वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से ही सुस्त है।
वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान की तुलना में वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान में ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के लिए आवंटन में 33 प्रतिशत की कमी की गई है और यह वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान से भी लगभग 18 प्रतिशत कम है।
हालांकि आधिकारिक रूप से यह स्पष्टीकरण दिया गया है कि मांग आधारित योजना होने के कारण मनरेगा का बजट हमेशा ही वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ जाता है।
मनरेगा संघर्ष मोर्चा के देवमाल्या नंदी ने कहा ‘वित्त वर्ष 24 में मनरेगा के लिए केवल 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसका असल में यह मतलब होगा कि लगभग 10 करोड़ सक्रिय जॉब कार्ड रखने वाले परिवारों के पास इस वर्ष औसतन 20 दिन काम करने का प्रावधान है, जबकि उनका 100 दिनों का अधिकार है। नरेगा में 17 करोड़ पंजीकृत श्रमिक हैं। यह दयनीय और चौंकाने वाली बात है।’
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले नए सहकारिता मंत्रालय के लिए बजट में बहुत सारी सकारात्मकता चीजें हैं। इनमें मार्च 2024 से पहले कारोबार शुरू करने वाली विनिर्माण गतिविधियों में लगी सहकारी समितियों के लिए 15 प्रतिशत की कम कर दर का लाभ शामिल है।
दस्तावेज बताते हैं कि वास्तविक क्षेत्रीय आवंटन के लिहाज से कृषि और संबंधित गतिविधियों के लिए बजट में 1,44,214 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 5.9 प्रतिशत अधिक था और ग्रामीण क्षेत्र के लिए बजट में 2,38,204 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान से 2.10 प्रतिशत कम है। इ
स बीच मार्च 2024 तक 2.95 करोड़ आवास निर्माण के लक्ष्य वाली पीएमएवाई-जी (प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण) नामक ग्रामीण आवास योजना के तहत 15 दिसंबर तक 2.5 करोड़ आवासों को मंजूरी दी जा चुकी है और 2.11 करोड़ आवासों का पहले ही निर्माण किया जा चुका है।
ग्रामीण आवास योजना के लिए लगभग 55,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जो हाल के वर्षों में सबसे अधिक है, जबकि योजना के शहरी भाग को 25,103 करोड़ रुपये मिले। वित्त वर्ष 23 में ग्रामीण आवास के बजट अनुमान के मामले में केवल 20,000 करोड़ रुपये की राशि थी।