इस बार का बजट न सिर्फ नई कारों के सस्ती होने की खुशखबरी लाया है बल्कि सेकेंड हैंड कार के भी और सस्ता होने का पैगाम भी इसी बजट के साथ ही आया है। बजट में छोटी कारों पर चार फीसदी की एक्साइज डयूटी की कटौती के ऐलान के बाद जहां एक ओर नई कारों के बाजार के नई रफ्तार पकड़ने के आसार हैं, वहीं अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए 13 लाख कारों की सालाना बिक्री वाले पुरानी कारों के बाजार ने भी अपनी कीमतों में तकरीबन 10 फीसदी की कमी कर दी है।
इससे पहले जनवरी में टाटा की नैनो के लोगों से पहली बार रूबरू होने के चलते कीमतों में 15 से 30 फीसदी की कमी की मार यह बाजार झेल ही रहा था कि अचानक एक और झटका उसे लग गया। अब एक लाख की नैनो और एक्साइज कटौती से सस्ती होती नई कारों के बाद पुरानी कारों के लिए कोई ज्यादा रकम क्यों दे? मिसाल के तौर पर, एक साल पुरानी सांत्रो की कीमत आमतौर पर 2.7 लाख रुपए होती है, जो कि बजट के ऐलान से पहले नई तीन लाख में मिलती थी। इसी तरह एक साल पुरानी वैगन आर 2.8 लाख रुपए में मिलती है, जबकि नई 3.1 लाख रुपए में मिलती रही है। बजट के बाद का क्या नजारा है, इसे समझाते हुए पुरानी कारों के बाजार के मुंबई के महारथी फजुलभाई मोटर्स के निदेशक आरिफ फजुलभाई कहते हैं- डयूटी में कमी के बाद खासतौर पर एक साल पुरानी कारों की कीमत 10 फीसदी तक की कमी हो गई। हालत यह है कि जिस अनुपात में नई कारों की कीमत में कमी आई है, उससे कहीं ज्यादा अनुपात में पुरानी कारों की कीमतें गिरी हैं। दो साल पुरानी कारों की कीमत 6 से 7 फीसदी तक गिरी है जबकि तीन साल पुरानी कार की कीमत 5 फीसदी कम हो गई है।
जो लोग पुरानी मारुति 800 की खरीद में ज्यादा से ज्यादा बचत की फिराक में हैं, उनके लिए तो यह कमी काफी अच्छी साबित होगी। एक साल पुरानी मारुति 800 अब पहले के 1.70 लाख के मुकाबले 15 हजार घटकर 1.55 लाख में ही मिलने लगी है। और अगर तीन साल पुरानी मारुति 800 से आपका काम चल जाए तो यह आपके लिए और भी सस्ती पड़ेगी। जहां पहले यह 1.02 लाख में बाजार में उपलब्ध थी, वह 1.02 लाख से घटकर 90 हजार तक पहुंच गई है।
