महंगाई और ऊंची ब्याज दरों की मार कारों की बिक्री पर भी असर दिखाने लगी है। वर्ष 2005 के बाद से कारों की बिक्री में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है।
जुलाई माह में कारों की बिक्री में करीब 1.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक, जुलाई 2007 में जहां भारत के घरेलू बाजार में 89,250 कारों की बिक्री हुई थी, वहीं इस साल जुलाई में यह संख्या घटकर 87,724 रह गई।
उसके मुताबिक, नवंबर 2005 के बाद कारों की बिक्री में पहली बार कमी आई है। इस साल मई में कारों की बिक्री में 6.1 फीसदी और जून में 14.3 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। महंगाई और बैंकों की ब्याज दरें इस समय काफी ऊंची हैं, इसकी वजह से उपभोक्ता कारों की खरीदारी में कम रुचि ले रहे हैं।
कारों की ब्रिकी की स्थिति अगर ऐसी ही रही, तो सरकार ने जो वर्ष 2015 तक सालाना 30 लाख कारों की बिक्री का लक्ष्य तय किया है, उसे हासिल करने में परेशानी आएगी। मुंबई स्थित एंजल ब्रोकिंग लिमिटेड के एक विशेषज्ञ का कहना है कि ऊंची ब्याज दरों की वजह से कारों की मांग घटी है। उनके मुताबिक, अगले पांच से छह माह के दौरान कारों की मांग में कमी बनी रहेगी।
सियाम के महानिदेशक दिलीप चेनाय ने बताया कि नवंबर 2005 के बाद से यह पहला मौका है कि यात्री वाहन खंड में गिरावट आई है। मुद्रास्फीति और इन्हें रोकने के भारतीय रिजर्व बैंक के उपाय, तेल कीमत में वृद्धि और वित्तपोषण की लागत एवं इसकी उपलब्धता ने इस खंड के विकास को प्रभावित किया है।
दरअसल, सख्त मौद्रिक नीति की वजह से बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है। वर्ष 2003 में जहां वाहन ऋण की दर 7 फीसदी थी, वहीं यह बढ़कर 12 फीसदी से ज्यादा हो गई है। गौरतलब है कि देश में आधे से ज्यादा वाहनों की बिक्री ऋण पर ही निर्भर है।
देश में 13 कार निर्माताओं में से 7 कंपनियों की बिक्री में कमी आई है। टाटा मोटर्स की बिक्री में जुलाई माह में जहां 8.9 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं होंडा की बिक्री में 7 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। हालांकि इस दौरान मारुति की बिक्री में 1.5 फीसदी और हुंडई मोटर्स की बिक्री में 0.5 फीसदी की तेजी आई है।
ब्याज दरों ने रोकी रफ्तार
वर्ष 2005 के बाद कारों की बिक्री में आई गिरावट
जुलाई माह में कारों की बिक्री 1.7 फीसदी घटी
महंगे ईंधन और ऊंची ब्याज दरों से कारों की मांग में कमी