तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक के तेल उत्पादक में कटौती के फैसले का असर दिखने लगा है। कच्चे तेल की कीमत पांच हफ्तों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। तेल उत्पादक देशों के समूह ने फैसला लिया था कि वह कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करेगी जिसके बाद से ही कच्चे तेल के दाम में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।
तेल उत्पादन में कटौती का फैसला
दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक समूह ने फैसला लिया है कि नवंबर से वह 20 लाख बैरल कच्चे तेल के रोजाना उत्पादन में कमी लाएगा ताकि कच्चे तेल के भाव में तेजी बरकरार रहें। बीते कई महीनों से कच्चे तेल के दाम में काफी गिरावट देखी गई थी। दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका के बीच ओपेक का फैसला निराशाजनक था। अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने ओपेक के फैसले की निंदा भी की थी। अमेरिका का कहना था कि ओपेक रूस के प्रभाव में आकर फैसला ले रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि रूस भी ओपेक का सदस्य है।
कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि
ओपेक के फैसले के बाद से ही कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि देखी जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 3.5 डॉलर की वृद्धि के साथ 97.92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अगर बात अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड की करें तो यह 4.19 डॉलर की वृद्धि के साथ 92.64 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। 30 अगस्त के बाद यह अपने उच्चतम स्तर पर है। जानकारों का मानना है कि तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती का फैसले के कारण कच्चे तेल की कीमत जल्द ही 110 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है।