निजी औद्योगिक गलियारों के पक्ष में महाराष्ट्र | |
सुशील मिश्र / मुंबई 04 11, 2018 | | | | |
महाराष्ट्र में औद्योगिक क्षेत्र को मजबूती देने के लिए बिना सरकारी सहायता के औद्योगिक गलियारे विकसित करने वाली निजी कंपनियों की पहल का राज्य सरकार ने स्वागत किया है। राज्य सरकार ने इन कंपनियों को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। पुराने वाहनों की समस्या से निपटने के लिए फ्रांस की तरफ से भारत मेें संयंत्र लगाने की पहल को राज्य सरकार पूरा सहयोग देगी। औद्योगिक क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन और उससे निपटने के विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने कहा कि यह परिवर्तन का दौर है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर ऐसे अनेक परिवर्तन हो रहे हैं, जिनका सीधा असर उद्योग जगत पर हो रहा है।
देसाई ने कहा, 'बदलाव के इस समय में जरूरत के हिसाब से कदम उठाने होंगे। राज्य सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। राज्य में एकीकृत उद्योग नीति को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की कमियां दूर होंगी।'
देसाई ने कहा कि उद्योग लगाने वालों के लिए नए नियम तय किए गए हैं और आवश्यकता पड़ने पर इनमें भी सुधार किए जाएंगे। महाराष्ट्र सहित देश के सभी बड़े शहरों में कचरा निस्तारण एक बड़ी समस्या बन गई है। पुराने वाहन और ई-कचरा सबसे बड़ी परेशानी पैदा कर रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए कई विदेशी कंपनियों ने अपने प्रस्ताव राज्य सरकार के सामने रखे हैं।
देसाई ने कहा कि भारत में कचरे से अच्छे उत्पादों के निर्माण करने की कई वर्ष पुरानी परंपरा रही है। राज्य सरकार की इस क्षेत्र में सक्रिय कंपनियों की मदद करने की नीति रही है, जो भविष्य में भी जारी रहेगी। फ्रांस की इंदिरा कंपनी के सीईओ ओलिवर ने कहा कि बड़े शहरों में वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, जो शहर के लिए एक समस्या बनते जा रहे हैं। कंपनी पुराने वाहनों को नष्ट करने या उन वाहनों का दोबारा उपयोग करने के क्षेत्र में काम कर रही है। ओलिवर ने कहा कि कंपनी भारत में अपना कारोबार विस्तार करने की तैयारी कर चुकी है।
राज्य उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार उद्योग नीति में बदलाव कर रही है, जिसमें कंपनियों, संयंत्रों और कारखानों के निर्माण के भी नियम तय किये जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि विनिर्माता को 80 प्रतिशत जमीन उद्योग के लिए और 20 प्रतिशत जमीन उद्योग के लिए लगने वाली सेवाओं के लिए उपयोग की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जमीन की कमी नहीं है।
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