अल्पावधि के लिए छोटी बचत योजनाएं आकर्षक | तिनेश भसीन / April 08, 2018 | | | | |
सावधि जमा के परंपरागत निवेशकों के लिए एक अच्छी खबर है। भले ही सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने लगभग एक महीने में सावधि जमा (एफडी) पर ब्याज दरें दो बार बढ़ाई हैं। जमा दरों में बदलाव दो वर्ष और इससे अधिक की अवधि वाली जमाओं में किया गया है। इससे बैंक एफडी एक बार फिर से परंपरागत निवेशकों के लिए आकर्षक हो गई हैं। कई निवेशकों ने हाल के समय में डेट फंडों पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। जाने-माने वित्तीय योजनाकार सूर्य भाटिया का कहना है, 'पिछले चार-पांच महीनों में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव ने उन निवेशकों को चिंतित किया है जिन्हें डेट फंडों का अनुभव नहीं है।'
हालांकि बैंकों की जमा दरों में तेजी आ रही है, लेकिन छोटी बचत योजनाओं से प्रतिफल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में सावधि जमा के मुकाबले आकर्षक बना हुआ है। जहां एसबीआई में एक साल की सावधि जमा पर ब्याज दर अब 6.40 प्रतिशत है, वहीं डाक घर में इतनी ही अवधि की जमा के लिए 6.6 प्रतिशत ब्याज दर मिल रही है। दो वर्ष, तीन वर्ष और पांच वर्ष की अवधि के लिए इंडिया पोस्ट 10 आधार अंक और 20 आधार अंक अतिरिक्त ब्याज देता है। लेकिन यदि आप लंबी अवधि की कर-बचत वाली एफडी पर विचार करें तो इंडिया पोस्ट ज्यादा आकर्षक है, क्योंकि यह एसबीआई की तुलना में 65 आधार अंक ज्यादा ब्याज की पेशकश करता है।
हालांकि बैंकों ने सरकारी बॉन्ड के प्रतिफल में तेजी के अनुरूप अपनी गति बनाए रखी है, लेकिन सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) समेत छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। दिसंबर तिमाही में वित्त मंत्रालय ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें घटाई थीं। हालांकि पिछली यानी जनवरी तिमाही में 10 वर्ष के सरकारी बॉण्ड पर प्रतिफल में इजाफा हुआ है। आपको बता दें कि छोटी बचत योजनाओं के लिए दरें अब सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल से जुड़ी हुई हैं।
निवेश सलाहकारों का कहना है कि अल्पावधि डेट फंड अभी भी उन निवेशकों के लिए आकर्षक बने हुए हैं जो अधिक कर दायरे में आते हैं और तीन से पांच वर्षीय निवेश अवधि को अपनाते हैं। यदि आप लंबी अवधि के लिए परिसंपत्ति आवंटन के तहत डेट योजनाओं में निवेश कर रहे हैं तो डायनेमिक बॉन्ड फंडों पर विचार करें। अल्पावधि के लिए डाकघर की मियादी जमा उपयुक्त है, क्योंकि इनमें प्रतिफल निश्चित है और सरकार द्वारा समर्थित है। अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्ïस के संस्थापक अरविंद राव कहते हैं, 'प्रतिफल में अंतर कम है। निश्चित प्रतिफल को तरजीह देने वाले निवेशक एफडी को अपना सकते हैं।'
यदि आप वरिष्ठï नागरिक हैं, तो इस वर्ष छोटी बचत योजनाएं आपके लिए आकर्षक बनी रह सकती हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ब्याज आय पर 50,000 रुपये की कटौती हासिल कर सकते हैं। सरकार ने आयकर अधिनियम में नई धारा (80टीटीबी) को शामिल किया है जो वरिष्ठï नागरिकों द्वारा की गई सावधि जमाओं के ब्याज पर कर मिलने वाली कटौती छूट से संबंधित है। इस धारा के तहत सिर्फ बैंक, सहकारी बैंक और डाकघर में जमा राशियों से ब्याज आय को शामिल होती है। निवेश सलाहकारों का कहना है कि वरिष्ठï नागरिक इस तरह से निवेश कर सकते हैं कि उन्हें सावधि जमा में 50,000 रुपये की कटौती का लाभ हासिल हो। इसके अतिरिक्त निवेश करना हो तो डेट फंडों में किया जा सकता है।
डेट फंड 20 प्रतिशत के कर दायरे में आने वाले निवेशकों के लिए भी उपयुक्त हैं बशर्ते कि वे इनमें होने वाले उतार-चढ़ाव को सहन कर सकते हों और तीन साल या इससे अधिक अवधि के लिए निवेश करें। यदि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं तो उन्हें सावधि जमा योजनाओं से ही जुड़े रहना चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि अल्पावधि में सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल अस्थिर बना रह सकता है। कम कर दायरे में आने वाले लोगों को छोटी बचत योजनाओं से जुड़े रहना चाहिए, क्योंकि डाकघर की योजना में प्रतिफल में अंतर डेट फंड या एफडी की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं होगा।
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