वाहन उद्योग में एक कंपनी का वर्चस्व | अजय मोदी / नई दिल्ली March 19, 2018 | | | | |
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजूकी वित्त वर्ष की समाप्ति देसी बाजार में 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ करने जा रही है, वहीं एक दर्जन से ज्यादा छोटी-बड़ी कंपनियों के पास संयुक्त रूप से बाकी हिस्सेदारी है। भारतीय वाहन बाजार में किसी एक कंपनी का वर्चस्व महत्वपूर्ण बनता जा रहा है, जहां कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में उतर रही हैं। वर्चस्व का मामला यात्री वाहनों (कार, यूटिलिटी वाहन व वैन) तक सीमित नहीं है। देसी उद्योग का करीब-करीब सभी क्षेत्र पर किसी एक कंपनी का वर्चस्व है और उसकी बाजार हिस्सेदारी न्यूनतम 40 फीसदी है। यह प्रवृत्ति व्यक्तिगत वाहनों मसलन कार व दोपहिया तक सीमित नहीं है बल्कि इसका विस्तार विभिन्न वाणिज्यिक वाहनों और यहां तक कि ट्रैक्टर तक है। ज्यादातर मामलों में बाजार की अग्रणी कंपनी और दूसरे नंबर की कंपनी में भारी अंतर है।
अहम मामला तिपहिया का है, जहां छह कंपनियां परिचालन कर रही हैं। बजाज ऑटो इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है और उसकी बाजार हिस्सेदारी 58 फीसदी है। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा व टीवीएस मोटर समेत पांच अन्य कंपनियों के पास बाकी हिस्सेदारी है। दूसरी सबसे बड़ी कंपनी पियाजियो (इटली की ब्रांड) के पास 24 फीसदी हिस्सेदारी है। स्कूटर के मामले में जापान की होंडा मोटरसाइकल ऐंड स्कूटर इंडिया के पास 57 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। प्रतिस्पर्धी कंपनियों के आक्रामक कदमों ने भी तेजी से बढ़ रही इसकी बाजार हिस्सेदारी पर चोट नहीं पहुंचाई है। हीरो मोटोकॉर्प व टीवीएस मोटर समेत बाकी छह कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 43 फीसदी है। दूसरी सबसे बड़ी कंपनी टीवीएस के पास 16 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है।
देसी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प मोटरसाइकल के बाजार में सबसे बड़ी कंपनी है और इसकी बाजार हिस्सेदारी 51 फीसदी है जबकि होंडा व बजाज समेत बाकी 10 ब्रांडों के पास बाकी हिस्सेदारी है। नजदीकी प्रतिस्पर्धी बजाज ऑटो की बाजार हिस्सेदारी 18 फीसदी है। हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक पवन मुंजाल ने पिछले महीने कहा था कि कंपनी के लिए देसी बाजार हिस्सेदारी को बनाए रखना और इसमें बढ़ोतरी महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा, वैश्विक कारोबार व शोध और विकास में हमें देसी कारोबार से फंड की दरकार है। हम निश्चित तौर पर ज्यादा बाजार हिस्सेदारी चाहते हैं।
ट्रक में टाटा मोटर्स की बाजार हिस्सेदारी 50 के दशक से मामूली घटकर 51 फीसदी रह गई है, लेकिन अभी भी इसका वर्चस्व है। अशोक लीलैंड के पास एक तिहाई बाजार हिस्सेदारी है। ज्यादातर अन्य क्षेत्रों के उलट ट्रक पर देसी ब्रांड की मजबूत पकड़ बनी हुई है जबकि वैश्विक कंपनियों मसलन डैमलर व स्वीडन की स्कैनिया ने भारतीय बाजार में प्रवेश कर लिया है। कीमत के लिहाज से उद्योग के सबसे बड़े क्षेत्र यात्री वाहन में हुंडई की बाजार हिस्सेदारी 16 फीसदी है। हुंडई के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी (भारत) वाई के कू ने कहा कि वाहन संख्या के लिहाज से कंपनी मारुति सुजूकी से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती, लेकिन भारतीय बाजार में हमारा सपना एक साल में 10 लाख कार बेचने का है, जो अभी 5.3 लाख है। मारुति के अग्रणी रहने की क्या वजह है? कंपनी के एमडी व सीईओ केनिची आयुकावा ने कहा कि भारत में कंपनी का लंबा इतिहास है। करीब 35 साल पहले आधुनिक वाहन उद्योग स्थापित करने वाले हम पहली कंपनी रहे हैं। हमारा ध्यान उपभोक्ताओं पर होता है और हम आम लोगों के हिसाब से वाहन विकसित करने की कोशिश करते हैं।
50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के बाहर ट्रैक्टर व लक्जरी कार के क्षेत्र ेमं कंपनियां हैं जिनकी बाजार हिस्सेदारी कम से कम 40 फीसदी है। ट्रैक्टर में बाजार की अग्रणी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के पास 43 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने कहा, दूसरी सबसे बड़ी कंपनी (ट्रैक्टर व फार्म उपकरण) के मुकाबले हमारी कंपनी बड़े मार्जिन के साथ उद्योग की अग्रणी कंपनी है और दूसरे पायदान वाली कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 18-19 फीसदी है। हल्के वाणिज्यिक वाहन में भी फर्म की बाजार हिस्सेदारी 43 फीसदी है। लक्जरी कार ब्रांड मर्सिडीज बेंज बाजार की अग्रणी कंपनी है और इसकी बाजार हिस्सेदारी 40 फीसदी है।
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