फंसे कर्ज से बैंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन रहा सुस्त | अभिजित लेले / मुंबई January 29, 2018 | | | | |
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि फंसे कर्ज के चलते बैंंकिंग क्षेत्र का प्रदर्शन (खास तौर से सरकारी बैंकों) मौजूदा वित्त वर्ष में सुस्त बना रहा। लेकिन स्थितियां सुधर रही हैं क्योंकि बैंक रिकवरी और दबाव वाली परिसंपत्तियों के समाधान पर ध्यान दे रहा है। साथ ही खास तौर से उद्योग की तरफ से उधारी की मांग में तेजी के शुरुआती संकेत से बैंकों को बदलाव की उम्मीद है। आर्थिक समीक्षा 2017-18 के मुताबिक, अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित उधारी अनुपात मार्च 2017 और सितंबर 2017 के बीच 9.6 फीसदी से बढ़कर 10.2 फीसदी पर पहुंच गया। लेकिन उनकी पुनर्गठित मानक उधारी अनुपात 2.5 फीसदी से घटकर 2.0 फीसदी रह गई। दबाव वाली उधारी का अनुपात इस अवधि में 12.1 फीसदी से बढ़कर 12.2 फीसदी पर पहुंच गया।
सरकारी बैंकों की स्थिति अनिश्चित बनी रही। इनका सकल एनपीए मार्च व सितंबर 2017 के बीच 12.5 फीसदी से बढ़कर 13.5 फीसदी पर पहुंच गया। पीएसबी का दबाव वाले कर्ज का अनुपात इस अवधि में 15.6 फीसदी से बढ़कर 16.2 फीसदी पर पहुंच गया। वित्तीय कंपनियों को संदर्भित करते हुए समीक्षा में कहा गया है, एनबीएफसी का सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2017 के आखिर में घटकर 5.5 फीसदी रह गया, जो 31 मार्च 2017 को 6.1 फीसदी रहा था। शुद्ध एनपीए भी सितंबर 2017 में घटकर 3.4 फीसदी रह गया, जो मार्च 2017 में 4.1 फीसदी रहा था।
उद्योग को कर्ज में हो रही बढ़ोतरी नवंबर 2017 में गैर खाद्य उधारी साल दर साल के हिसाब से बढ़कर 8.85 फीसदी रही, जो नवंबर 2016 में 4.75 फीसदी थी। सर्विस व पर्सनल लोन के क्षेत्र में बैंकों की उधारी का योगदान कुल गैर-खाद्य उधारी में अहम बना रहा। औद्योगिक क्षेत्र में उधारी ने अंतत: जोर पकड़ा, जो अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 तक लगातार नकारात्मक बना रहा था। हालांकि मझोले उद्योगों की उधारी की रफ्तार जून 2015 से नकारात्मक बनी हुई है।
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