गैर कोकिंग कोल हुआ महंगा | अभिषेक रक्षित / कोलकाता January 09, 2018 | | | | |
करीब तीन लाख कर्मचारियों के वेतनभत्तों में बढ़ोतरी के बाद बढ़ी हुई लागत के असर को पटरी पर लाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोल इंडिया ने गैर कोकिंग कोयले की कीमत में औसतन 9 फीसदी का इजाफा किया है। माना जा रहा है कि इससे उसे बढ़े हुए व्यय की भरपाई करने और खनन कार्य में पूंजीगत व्यय बढ़ाने में सहायता मिलेगी। कोल इंडिया ने अपने कार्यकारी और गैर कार्यकारी कर्मचारियों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की थी जिससे उसके खर्चे में सालाना करीब 6,400 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। उसने इसमें से 2,700 करोड़ रुपये का इंतजाम तो कर लिया था लेकिन उसे 60 फीसदी नकदी और जुटानी थी।
कंपनी के अधिकारियों का मानना है कि इस बढ़ोतरी से अगले वर्ष कंपनी को 6,421 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी। यह उसके सालाना व्यय में इजाफे के बराबर है और इससे आय-व्यय का असंतुलन समाप्त होगा। हालांकि बढिय़ा ग्रेड के कोयले की कीमतों में 2.1 से 4.7 फीसदी की कमी की गई है जबकि जी 6 और जी 7 के कोयले के दाम 20.4 और 21.9 फीसदी बढ़ा दिए गए हैं। वहीं जी 11 से 14 तक के कोयले के दाम 13.5 फीसदी से 17.9 फीसदी के बीच बढ़ाए गए हैं। देश के बिजली और सीमेंट क्षेत्र में अधिकतर जी 11-14 कोयले का इस्तेमाल होता है।
कोल इंडिया ने कीमतों में पिछला बदलाव मई 2016 में किया था। उस वक्त कीमतों में औसतन 6.2 फीसदी की दर से इजाफा किया गया था। वेतन भत्तों और कर्मचारियों पर होने वाले अन्य खर्च कंपनी की कुल लागत का 48 फीसदी हैं। वर्ष 2011-17 के बीच कंपनी के शुद्घ लाभ में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई और यह 9,266 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी के वरिष्ठï अधिकारियों का कहना है कि वेतन भत्तों की समीक्षा के बाद और मूल्य वृद्घि का निर्णय लेने के पहले कई विकल्पों पर विचार किया गया। इसमें घाटे में चल रही खदानों को बंद करने, कर्मचारियों की तादाद कम करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति और खदानों के मशीनीकरण आदि पर विचार किया गया। इसके बाद मुनाफा बरकरार रखने के लिए कीमतों में औसतन 6 से 9 फीसदी का इजाफा करना आवश्यक समझा गया।
विश्लेषकों का मानना है कि कीमतों में इजाफे के बाद भी कोल इंडिया की कीमतें आयातित कोयले से कम हैं और इसलिए उपभोक्ता इनका इस्तेमाल करना जारी रखेंगे। एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'इतना ही नहीं बिजली क्षेत्र की मांग बरकरार है और भविष्य में ग्रामीण विद्युतीकरण, बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली की कमी होने पर जुर्माना और ऐसे अन्य कदमों के चलते मांग बढ़ेगी। माना जा सकता है कि बिक्री स्थिर बनी रहेगी।Ó आईसीआर के मुताबिक थर्मल ग्रेड कोयला जिसकी ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू 3,100-4,300 किलो कैलरी प्रति किग्रा है उसकी बिजली कंपनियों को आपूर्ति 15 से 18 फीसदी बढ़ी है। कोल इंडिया ने खनन और अन्य कामों के पूंजीगत व्यय के लिए 15,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। कंपनी द्वारा वेतन भत्तों में जाने वाली राशि के ठीक बराबर राशि की व्यवस्था कर लेने पर विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि इस बोझ को निष्प्रभावी कर दिया गया है। कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं और बेहतर उत्पादन के जरिये भी इससे पार पा लेगी।
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