डिजिटलीकरण ने किया बैंकिंग क्षेत्र में बदलाव, घट रही हैं बैंकों की शाखाएं | |
निकहत हेटावकर / मुंबई 01 07, 2018 | | | | |
अंतिम छोर पर तकनीक के इस्तेमाल के माध्यम से सरकार की ओर से डिजिटल पर जोर दिए जाने और वित्तीय तकनीक उत्पादों के बढ़ते बाजार ने बैंकिंग क्षेत्र का खाका बदल दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मई 2017 के दिशानिर्देशों में शाखाओंं की जगह बैंकिंग आउटलेट पर जोर दिया गया है, जिसमें शाखाओं के साथ बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट शामिल हैं। पुनरीक्षित दिशानिर्देश बैंकिंग क्षेत्र के लिए बेहतर हैं और हिस्सेदारी पर ध्यान बढ़ा है। इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक रमेश सोबती ने कहा, 'शाखा की परिभाषा बदल रही है। नए नियमों में बैंकिंग प्वाइंट भी एक शाखा हो सकती है। आपको सिर्फ कस्टमर टच प्वाइंट की जरूरत होगी।'
विश्लेषकों का कहना है कि बैंकों की भौगोलिक पहुंच में शाखाओं की हमेशा से अहम भूमिका रही है, लेकिन डिजिटल बैंकिंग की स्वीकार्यता इस अवधारणा को चुनौती दे रहा है। बैंक अधिकारी जहां अपनी रणनीति में हमेशा शाखाओं को महत्त्व देने की बात कह रहे हैं, ज्यादातर बड़े बैंकों में चालू वित्त वर्ष और पिछले दो साल में नई शाखाएं जोडऩे के आंकड़़े अलग कहानी कह रहे हैं। हाल के समय में बैंकों ने शाखाएं जोडऩे के अपने लक्ष्य का मूल्यांकन कर उसमें बदलाव किया है।
येस बैंंक ने मार्च 2020 तक 2,500 शाखाओं तक विस्तार की योजना बनाई थी, जिसे अब 1,800 कर दिया है। बैंक का एटीएम में निवेश भी अहम है, जिससे डिजिटल बैंकिंग पर जोर दिया जा सके। येस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी राणा कपूर ने कहा, 'शाखा खोलने में भारी निवेश की जरूरत होती है और इसके चलने को लेकर जोखिम बढ़ा है।' उन्होंने कहा, 'बैंक इस समय भौतिक रूप से कम खर्चीले और डिजिटल रूप में प्रभावी होना चाहते हैं।'
सोबती ने कहा, 'आपको निश्चित रूप से परंपरागत शाखाओं की जरूरत होती है। हम अभी भी 2,000 शाखाएं तीन साल में खोलने जा रहे हैं। लेकिन हर चीज डिजिटल हो रही है, ऐसे में आपको 3,000-4,000 शाखाओं की जरूरत नहीं है।' पिछले कुछ वर्षों में फेडरल बैंक की कोई नई शाखा नहीं खुली है। बैंक ने अपनी ज्यादातर प्रक्रिया का केंद्रीकरण कर दिया है, जहां से ज्यादा परिचालन होता है। बैंक से लेनदेन का 90 प्रतिशत से ज्यादा काम डिजिटल माध्यमों से होता है। डिजिलटीकरण से केंद्रीकरण मिल जाने पर संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल की रणनीति बन सकती है, जो कारोबारी योजना के मुताबिक है।
फेडरल बैंक के खुदरा कारोबार के प्रमुख एवं उपाध्यक्ष जे के मैथ्यू ने कहा, 'फेडरल बैंक की नीति है कि सामने से डिजिटल हो और मुख्य कार्य मानव संसाधनों से हो। बैंकिंग जैसे सेवा क्षेत्र के लिए भौतिक उपस्थिति महत्त्वपूर्ण पहलू है, जहां पहुंचकर किसी उत्पाद या सेवा के बारे में बात करने पर ग्राहकों को आत्मविश्वास मिलता है। विकास की रणनीति में शाखाएं अहम बनी रहेंगी। ठीक इसी समय ब्रांच लाइट-डिस्ट्रीब्यूशन हैवी मॉडल पर काम होगा जहां लोगों को और ज्यादा कारोबार तलाशने में लगाया जा सकता है।'
निजी क्षेत्र के ज्यादातर बैंकों की शाखाओं में भारी गिरावट हुई है। कुछ बैंकों ने जहां शाखाएं खोलना व एटीएम स्थापित करना जारी रखा है, वहीं उद्योग जगत के सभी दिग्गजों का मानना है कि शाखाएं, आकार और प्रक्रिया दोनों ही स्तरों पर बदल रही हैं। ऐक्सिस बैंक के कार्यकारी निदेशक राजीव आनंद ने कहा, 'बैंकों को डिजिटल बनाने का काम हमारी रणनीति का अहम हिस्सा है, जिससे हमारे बैंक के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है। इससे कम कर्मचारियों से ज्यादा सेवाएं मिल रही हैं।' फिनटेक के विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटलीकरण से लागत घटती है।
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