राजकोषीय घाटे के लिए 3.2 फीसदी का लक्ष्य मुश्किल | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली January 04, 2018 | | | | |
वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 फीसदी के स्तर पर बनाए रखने के लिए सरकार को मार्च तक खर्च करने के लिए 655.73 अरब रुपये के राजस्व की जरूरत होगी। यह बजट के उस अनुमान पर आधारित है कि जीडीपी में वर्ष 2017-18 में 11.75 फीसदी की वृद्धि होगी। इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी में सांकेतिक तौर पर 9.30 फीसदी की वृद्धि होगी। राजकोषीय लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा अगर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सांकेतिक जीडीपी वृद्धि में करीब 14 फीसदी की कमी होती है।
बजट के अनुमान के आधार पर केंद्र को दिसंबर-मार्च के दौरान 7.3 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की जरूरत होगी और सरकार का खर्च 6.7 लाख करोड़ रुपये तक सीमित होना चाहिए। राजस्व अधिशेष 1.7 लाख करोड़ रुपये होना चाहिए और इसके लिए कर आमदनी या गैर-कर राजस्व में बढ़ोतरी के साथ राजस्व खर्च नियंत्रित होना जरूरी है। केंद्र को उम्मीद है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कम कर संग्रह की वजह से अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 250-300 अरब रुपये तक की कमी होगी। सरकार का यह भी मानना है कि गैर-कर राजस्व और प्रत्यक्ष कर संग्रह को मिलाने के बावजूद बजट अनुमान में 200 अरब रुपये तक की कमी होगी।
जहां तक राजस्व घाटे की बात है इस रकम की भरपाई भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तांतरण और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लाभांश के भुगतान के जरिये की जाएगी। जहां तक राजकोषीय घाटे की बात है सरकार विनिवेश पर निर्भर हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि इससे बजट अनुमान से कहीं अधिक 200 अरब रुपये तक जुटाए जा सकते हैं। हालांकि इससे 300 अरब रुपये का एक अंतर बरकरार रहेगा जिसकी भरपाई पूंजीगत खर्च में कटौती के जरिये की जा सकेगी। सरकार ने इस वित्त वर्ष के बाकी चार महीने में पूंजीगत खर्च के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के खर्च का बजट तय किया है। पूंजीगत खर्च में ज्यादा कटौती से जीडीपी वृद्धि के लिए और जोखिम की स्थिति बन सकती है क्योंकि निजी निवेश की स्थिति भी अच्छी नहीं है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है, 'सरकार वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे को 3.2 फीसदी के स्तर पर नहीं रख पाएगी और मुमकिन है कि यह आंकड़ा 3.5 फीसदी के स्तर पर पहुंचे। इसी वजह से सरकार ने 500 अरब रुपये की अतिरिक्त उधारियों की घोषणा की थी। सरकार राजकोष में गिरावट की बात से वाकिफ है लेकिन इसने संकेत दिए हैं कि पूंजीगत खर्च में कटौती नहीं होगी।'
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